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झीरम घाटी कांड विभत्स राजनीतिक प्रशासनिक साज़िश थी? जिसकी तह में सेवानिवृत्त आईएएस का सत्ता सूत्र को अप्रैल २०१३ को लिखा गया वह कथित पत्र था जिसमें यह वादा दर्ज था के,”कर्मा मिलेगा, पटेल लेना होगा..,”

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नितिन राजीव सिन्हा

२५ मई २०१३ की शाम ३ बज कर ५० मिनट पर सुकमा से लौट रहे कांग्रेस के परिवर्तन यात्रा क़ाफ़िले पर हमला झीरम घाटी में हुआ और शाम सात बजे तक तथाकथित नक्सलियों को तांडव मचाने की खुली छूट तत्कालीन भाजपा सरकार की सुरक्षा में चूक के कथित जद मे प्राप्त हुई थी..,

कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व इस हमले में समाप्त हो गया था तब तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह ने बडा मासूम सा बयान दिया था कि यह सुरक्षा में चूक का मामला है इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिये ..,

बुधवार को बिलासपुर हाईकोर्ट ने झीरम घाटी कांड में राज्य की एजेंसी से जाँच कराने के खिलाफ एनआईए द्वारा लगाई गई याचिका को ख़ारिज कर दिया है यह भूपेश सरकार की बड़ी उपलब्धि मानी जायेगी कि उसनें कोर्ट में तथ्यों को सही तरीक़े से रखा..,

आरसीएस सामंत और अरविंद चंदेल की डिविज़न बेंच ने कहा है कि इस मामले की जाँच राज्य की एजेंसी करने के लिये स्वतंत्र है सूत्रों का दावा है कि इस फ़ैसले के बाद राज्य सरकार झीरमघाटी हत्याकांड के राजनीतिक षड्यंत्रों की जाँच कर सकती है जिसे केंद्र की एजेंसी के दबाव में किया जाना संभव न था..,

‘कर्मा मिलेगा,पटेल लेना होगा’यह उस हमले का मूल वाक्य था हमले की पूरी स्क्रिप्ट इसी के इर्द गिर्द लिखी गई थी,इसकी तह में अप्रैल २०१२ में सुकमा के तत्कालीन कलेक्टर अलेक्स पॉल मेनन के अपहरण की पृष्ठभूमि थी जिसकी रिहाई में सेवानिवृत्त आईएएस की महत्वपूर्ण निर्णायक भूमिका थी..,

यह सेवानिर्वृत्त आईएएस बस्तर में साठ के दशक में ज़िलाधिकारी रह चुके थे जिन पर आदिवासी जन सामान्य का भरोसा क़ायम था कि वे जल,जंगल और जमीन बचाने की मुहिम में आदिम समाज के सहभागी थे वे अब दिवंगत हो चुके हैं पर,उनकी तत्कालीन सत्ता सूत्र के साथ हुये संवाद अब भी प्रासंगिक बने हुये हैं..,

जाँच होगी तो कई परतें खुलेंगी एलेक्स पॉल मेनन का अपहरण महत्वपूर्ण कड़ी मानी गई है जिसनें सुरक्षा में चूक की पृष्ठभूमि तैयार करनें वालों के साथ लाल गलियारे में लाल आतंक का वह अध्याय लिख दिया जिस पर विपक्ष के आरोप रहे हैं कि यही वह टर्निंग प्वाईंट है जिसकी वजह से २०१३ के विधानसभा चुनाव में रमन सिंह ने हारी हुई बाज़ी जीती थी और सत्ता में वापसी की थी चुनाव जीतने के बाद रमन सिंह ने कहा था कि “झीरम घाटी कांड का प्रभाव चुनाव परिणामों पर नहीं दिखा..,”

‘कहीं यह अपराधबोध की दशा तो नहीं थी के, उनके कार्यकाल में यह सब निर्विघ्न घटित हो गया ?’ किन परिस्थितियों में कर्मा मिलेगा,पटेल लेना होगा यह शब्द गढ़े गये इस पर से पर्दा उठेगा तो देश में सियासी भूचाल आना तय है..,

‘निशाने पर कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल थे चूँकि महेंद्र कर्मा बस्तर से थे ज़ेड प्लस सुरक्षा प्राप्त थे उनके खिलाफ प्रशानिक साज़िश सत्ता सूत्र के लिये बायें हाथ का खेल था सुरक्षा में चूक संभवत: नंदकुमार पटेल के सियासी पराक्रम को विराम देने के लिये किया गया था जिनके नेतृत्व में २०१३ में कांग्रेस,सरकार बनाने के क़रीब थी..,’

आगामी लेखों मे षड्यंत्रों की बू जो घटना घटित होने से पहले आ रही थी उसका तथ्यवार ख़ुलासा करेंगे फ़िलहाल माटी पुत्र नंदकुमार पटेल (पिता पुत्र),महेंद्र कर्मा एवं विद्याचरण शुक्ल समेत ३६ लोगों की निर्मम हत्या की बारिश की बूँदों के बीच गोलियों की बौछार किये जाने की साज़िश पर अहमद तनवीर का लिखा हुआ प्रासंगिक होगा कि,-

जाने कैसी बादलों

के दरमियाँ साज़िश

हुई मेरा घर मिट्टी

का था मेरे ही 

घर बारिश हुई..,

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