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चिरमिरी: कोरोना से जंग जीतकर लौटने के बाद सद्दाम ने कहा: लापरवाही के लिए मैं अकेला जिम्मेदार, किसी अन्य की कोई भूमिका नही- सद्दाम,

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लापरवाही के लिए मैं अकेला जिम्मेदार, किसी अन्य की कोई भूमिका नही- सद्दाम

सोशल मीडिया में चली अफवाहों का किया खंडन, प्लाज्मा थेरैपी के लिए ब्लड डोनेट करने हेतु अपनी सहमति की दी जानकारी

अफ़सर अली की रिपोर्ट

चिरिमिरी । चिरिमिरी के साथ ही कोरिया जिले के पहले कोरोना पॉजिटव सद्दाम उर्फ दिल्ला ने कुछ दिन पूर्व ही सोशल मीडिया में लापरवाही के लिए खुद को पूरी तरह से जिम्मेदार बताते हुए हल्दीबाड़ी क्षेत्र के लोगो को हो रही परेशानियों के लिए माफी मांगी थी । आज मोबाइल से चर्चा करते हुए सद्दाम ने उन बातों को दुहराते हुए कहा कि उस दिन के लापरवाही के तीन घंटे ने उसकी पूरी जिंदगी बदल दी है । सद्दाम ने  उस दौरान सोशल मीडिया में चली कई अफवाहों का खंडन करते हुए तथ्यो के साथ अपना पक्ष सामने रखा । इसके साथ ही सद्दाम ने यह भी बताया कि आगे जरूरत पड़ने पर उसने प्लाज्मा थैरेपी के लिए अपना बल्ड डोनेट करने के लिए प्रशासन को अपनी सहमति दे दी है ।

     ज्ञात हो कि पिछले 14 मई की शाम कोरिया जिले का पहला कोरोना पेशेंट मिलने से पूरे जिले में हड़कम्प मच गया था । आनन फानन में जिला प्रशासन ने सद्दाम को अम्बिकापुर कोविड 19 हॉस्पिटल रवाना किया । जहां से उपचार व दो रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद सद्दाम को अस्पताल प्रबंधन ने डिस्चार्ज कर दिया । वर्तमान में जिला प्रशासन के निर्देश में सद्दाम गोदरीपारा के जेट होस्टल में बने कोरन्टीन सेंटर में 14 दिनों के लिए कोरन्टीन है ।

      मोबाइल से चर्चा करते हुए सद्दाम ने बताया कि जिला प्रशासन के निर्देश पर यूपी से आने के बाद सैंपल देकर वह अपने परिवार के साथ होम कोरन्टीन में था । उसने कुछ लोगो से पूछा कि टेस्ट रिपोर्ट कितने दिनों में आती है ? इस पर उन लोगो ने उसे बताया कि 2-3 दिन में आ जाती है । पॉजिटिव होने पर प्रशासन पेशेंट को हॉस्पिटल भेज देती है तथा निगेटिव होने पर उसे बताया नही जाता । चूंकि उसे होम कोरन्टीन हुए 4-5 दिन हो चुके थे, इसलिए उसने यह सोचकर कि अब उसका रिपोर्ट निगेटिव ही आएगा, घर से बाहर शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हल्दीबाड़ी के ग्राउंड में गया व घुमा फिरा । यही उसके जीवन की सबसे बड़ी गलती साबित हुई । देर शाम उसके घर मेडिकल की टीम जिला व पुलिस प्रशासन के साथ पहुंच गई और उसे अम्बिकापुर हॉस्पिटल भेज दिया गया । अम्बिकापुर हॉस्पिटल पहुचने तक वह भारी डिप्रेशन में आ गया था और उसे मौत सामने दिख रही थी । लगभग दो दिनों तक यही स्थिति रही । फिर हॉस्पिटल में डॉक्टरों ने उसे हौसला दिया जिसके बाद उसने ठाना कि कोरोना के साथ ही सारी दुश्वारियों से लड़ना है । इसके बाद धीरे धीरे उसके हालत में सुधार हुआ और आज वह ठीक होकर वहां से डिस्चार्ज हो गया है ।

      सोशल मीडिया में चले अफवाहों पर किये गए सवालों का जबाब देते हुए सद्दाम ने बताया कि राजनैतिक संरक्षण की बात पूरी तरह से गलत है । घर से बाहर निकलने का निर्णय उसका अपना था । जब वह स्कूल ग्राउंड में पहुंचा तो पार्षद शिवांश जैन ने उसे डांटते हुए कहा कि तुम तो होम कोरन्टीन हो, तुम घर से बाहर कैसे निकले । तुरन्त घर वापस जाओ । लेकिन उसने बहाना बनाकर टाल दिया । लोगो के दाढ़ी, बाल बनाने के सवाल पर सद्दाम ने सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उसने किसी भी व्यक्ति का दाढ़ी व बाल नही बनाया है । हां, जिला प्रशासन से सप्ताह में तीन दिन  सैलून खोलने का आदेश मिलने के बाद उसने अपने सहायक जो कि डोमनहिल में रहता है, को बुलाकर उसे दूर से ही दुकान की चाबी दी थी और उसने केवल एक दिन सैलून खोला था । इलाहाबाद से सेवई लाकर बेचने की अफवाह पर उसने कहा कि वह इलाहाबाद से सेवई लेकर नही आया था बल्कि उसके भाई ने कोरबा के थोक विक्रेता से सेवई मंगाकर जरूर बेचा था, जिसका उसके पास बिल भी है । कोई यदि चाहे तो कोरबा के उस दुकानदार से बात कर जानकारी ले सकता है ।

    कुछ अखबारों में उसे प्रशासन द्वारा घेरकर पकड़ने की छपी खबर का खंडन करते हुए सद्दाम ने कहा कि यह बात पूरी तरह से गलत है । उसने शुरू से ही प्रशासन का सहयोग किया है और प्रशासन ने उसे घर से हॉस्पिटल रवाना किया था ।

     सद्दाम ने आगे कहा कि वह आगे भी प्रशासन का सहयोग करेगा । उसे केवल दुख अपने भाई व भतीजे के आरोपी बनाए जाने का है क्योंकि दोनों अलग रहते है और इस दौरान उसका भतीजा केवल एक बार उसे सब्जी देने आया था । वह भी डॉक्टरों के सामने उसने काफी दूर से दिया था । इसके बाद भी प्रशासन ने दोनों को आरोपी बना दिया है ।

     सद्दाम ने आगे कहा कि उसने जो गलती की है उसका सजा भुगतने के लिए वह तैयार है ।

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