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संविधान को ना मानना राष्ट्रद्रोह भारत एक राष्ट्र है – हिमांशु कुमार

राष्ट्र में जिसने भी जन्म लिया उसे जन्म से ही कुछ अधिकार मिलते हैं .

उसे जन्म से ही इस राष्ट्र में जिंदा रहने का अधिकार है .
उसे जन्म से ही भोजन का अधिकार है .
उसे जन्म से ही इसमें रहने का अधिकार है .
लेकिन अगर एक बच्चे ने मुंबई की झोंपडपट्टी के किसी गरीब परिवार में जन्म लिया है.
और जब उसकी झोंपड़ी एक अमीर बिल्डर सरकारी पुलिस की मदद से तोड़ता है तब वह उस बच्चे का संवैधानिक हक़ छीन रहा होता है ,
और इस तरह संविधान तोड़ने में सरकार उस बिल्डर की मदद कर रही होती है .
जब कोई पुलिस अधिकारी किसी महिला की कोख में पत्थर भरता है और आप महिला का साथ देने की बजाय उस पुलिस अधिकारी को इनाम देते हैं,
आप अगर संविधान की दुहाई देते हैं और संविधान के मूल सिद्धांत को ठुकरा देते हैं तो आप बेईमानी कर रहे होते हैं .
संविधान और कुछ नहीं है बस वह हर नागरिक की बराबरी की घोषणा है .
अगर आप उसे नहीं मानते तो आप ही संविधान द्रोही है .
फिर भले ही आप राष्ट्रपति ही क्यों ना हों .

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