रतलाम शहर को स्वच्छ और सुन्दर बनाने की जिम्मेदारी निभाने वाला नगर-निगम खुद के कार्यालय के सामने गांधी उद्यान को अतिक्रमण से मुक्त नहीं करवा पा रहा है। हैरानी की बात है कि सड़कों से ठेले और फूटपात पर सामान बेचकर पेट पालने वालों का सामान जब्त करने वाले जिम्मेदार गांधी उद्यान को अतिक्रमण से मुक्त करने में नाकाम साबित हो रहे है। दो दिन पहले गांधी उद्यान परिसर में वर्षों से जमे अवैध कब्जे की कार्यवाही शुरू हुई, लेकिन चंद मिनटों में कार्यवाही मंजिल पर पहुंचने से पहले बंद हो गई।
आखिर किस राजनैतिक संग़ठन का दवाब: केंद्र, प्रदेश और निगम सरकार में सत्ता कुर्सी से बाहर एक राजनैतिक संग़ठन इन दिनों जनहित के मुद्दे को भूल अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई को थामने में जुटा है। चर्चा है कि नगरीय-निकाय चुनाव में इसके दूरगामी परीणाम भुगतने पड़ सकते हैं। नगर-निगम में विपक्ष रह चुकी इस पार्टी में अंदरूनी गुटबाजी को आमजन नहीं भूला सका। ज्ञात हो की उच्च न्यायालय गुरुवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रदेश सरकार को जल्द चुनाव कराने के आदेश जारी कर चुका है।
पेड़ छंटाई पर दवाब की कहानी कुछ ऐसी– नगर-निगम परिसर के पेड़ों की छंटाई कुछ लोगों को रास नहीं आ रही। छंटाई से पहले उक्त पेड़ो पर बड़ी संख्या में चमगादड़ और अन्य पक्षियों से संक्रमण के इस दौर में बीमारी फैलने का भय बना रहता है। कोरोना संक्रमण के शुरुआत के साथ निगम परिसर के पेड़ों से चमगादड़ को उड़ाने के लिए पेड़ों पर सेनेटाइजर के साथ रस्सी-बम फोड़ने की कवायद की जा चुकी है। इसके बाद हाल में पेड़ो की छंटाई के बाद आमजन के अधिकारों के मुद्दे को भुलाने वाली एक राजनैतिक पार्टी थाने पहुंचकर कार्रवाई की मांग कर चुकी, ताकि गांधी उद्यान में वर्षों से जमा कब्ज़ा नहीं हटाया जा सकें।