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उत्साह के साथ गोबर से गमले बनाने में जुटी महिलाएं कलेक्टर दीपक सोनी की मेहनत लाई रंग

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गमले में है कम्पोष्ट खाद बना महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर

 

गोबर का गमला 5 से 6 माह तक नर्सरी में रहता है सुरक्षित

शमरोज खान सूरजपुर 

सूरजपुर 21 नवम्बर 2019/कलेक्टर श्री दीपक सोनी के नेतृत्व में राज्य सरकार की बहुआयामी परियोजना नरवा, गरुवा, घुरुवा और बाड़ी का क्रियान्वयन जिले के समस्त ग्रामीण क्षेत्र के समस्त वर्गो को मिले इसके लिये जिला प्रशासन के टीम की कार्यो पर नियमित समीक्षा कर स्थानीय क्षेेत्रवार परिवेश में सफल हो इसके लिये अलग-अलग कार्ययोजना नियमित प्रगति पर है इसी परियोजना के माध्यम से इन क्षेत्रों में आर्थिक सशक्तिकरण स्थायीत्व रुप से स्थापित हो इसके लिये महिला ग्राम संगठनों को अलग-अलग समाग्री निर्माण व बिक्री के लिए कलेक्टर श्री दीपक सोनी की पहल सफलता के एक नये आयाम की ओर अग्रसर है व रोजगार के अवसरों में भी लगातार वृद्धि हो रही है। इसका उदाहरण ग्राम पंचायत केशवनगर में शिव शक्ति महिला ग्राम संगठन के द्वारा गोबर से बनाये जा रहे गमला निर्माण में कार्यरत महिलाएं उत्साह के साथ लगी हुई है। शिवशक्ति संगठन के सदस्यों ने बताया कि यदि आप नर्सरी में पौधे लगाना चाहते है तो आपको कम्पोष्ट खाद्य की जरुरत नहीं पडे़गी क्योकि अब गोबर से गमले बनाये जा रहे है। जिसमें कम्पोष्ट खाद उपलब्ध रहते है। महिला ग्राम संगठन के महिलाएं प्रतिदिन 150 से 200 गमले बना रहे हैं, जिसमें छोटा एवं बड़ा साईज का गमला बनाया जा रहा है जहां इनकी कीमत 10 से 15 रूपये रखी गई है इससे ग्राम संगठन की महिलाएं गोबर से गमले बनाकर रोजगार के अवसर प्राप्त कर रहे है।

गोबर से बने हुए गमले नर्सरी में सीधे कंपोस्ट खाद के रूप में काम करती है और इसका कीमत 10 से 15 रूपये है जो कि बाजारो के तुलना में बहुत ही कम है। शिव शक्ति महिला संगठन के 10 महिलाएं इस पर काम कर रही हैं, महिलाएं प्रतिदिन 150 से 200 रूपये रोज ही कमा रही हैं अब तक संगठन द्वारा 1000 से अधिक गमला बनाकर वन विभाग के नर्सरी एवं निजी नर्सरी को विक्रय किया जा चुका है। एक गमला बनाने में एक किलोग्राम से डे़ढ़ किलोग्राम गोबर एवं पीली मिट्टी का मिश्रण किया जाता है। इसमें पौधे को लगाते ही खाद तुरंत मिल जाता है जिससे पौधे की वृद्धि कम समय में ही हो जाती है। गोबर के गमले से नर्सरी गुलजार हो रही है एवं महिलाओं को रोजगार के अवसर भी प्राप्त हो रही है। 

महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सश्क्त बनाने के लिए जिला प्रशासन के द्वारा गमला बनाने के लिए दो इलेक्ट्रानिक मशीन लगाई गई है। मशीन के माध्यम से गमले का निर्माण किया जा रहा है। ग्राम संगठन की महिलाएं इस काम को बहुत ही आसानी से कर रही है एक गमला को तैयार करने में 3 से 4 दिन का समय लगता है और यह नर्सरी में 5 से 6 माह तक सुरक्षित रहता है। संगठन की महिलाए अपने घर के गोबर को गमले बनाने के लिए उचित दर पर देती है। गमले बनाने के लिये प्रर्याप्त मात्रा में गोबर एकत्रित कर लिया जाता है। इस योजना के संचालन अधिकारी श्री कुसरो ने बताया कि महिलाओं को अधिक से अधिक रोजगार उपलब्ध कराने के लिए टेªनिंग दी जा रही है जिससे वे अच्छा कार्य कर आत्मनिर्भर बन सके और दूसरे महिलाओं को भी समूह से जुड़ने के लिए प्रेरित कर सके।

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