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भाजपा के ढर्रे पर कांग्रेस.. विधानसभा चुनाव में नए चेहरों को मौका

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"नई दिल्ली से ए.एन शास्त्री और रागिब् अली की रिपोर्ट"

एक तरफ कांग्रेस शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री अपने अध्यक्ष राहुल गांधी को मनाने में इस बात के लिए जुटे हुए हैं कि वह अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश को वापस ले ले, तो दूसरी तरफ राहुल गांधी के ही नेतृत्व में आगामी महीनों में होने वाले कई राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिए भी तैयारी की जा रही है तथा इस बात की कोशिश की जा रही है किन जिन राज्यों विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं उन राज्यों में कांग्रेस पार्टी पार्टी चुनाव मैदान में जहां पुराने चेहरों को किनारे लगाने की फिराक में है तो दूसरी तरफ भाजपा की तर्ज पर नए चेहरों को विधानसभा चुनाव मैदान में उतारने का मन बना लिया है aajkadinnews.com को मिली को जानकारी के मुताबिक कांग्रेस पार्टी लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद उस स्थिति को दोबारा दोहराना नहीं चाहती है क्योंकि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने कई ऐसे चेहरों को लोकसभा टिकट दिया था जो सर्व संपन्न और परिवारवाद से ग्रसित थे राहुल गांधी का इस्तीफा देने का एक कारण यह भी है और यह मानते हैं की वे राष्ट्रीय अध्यक्ष तो रहे हैं लेकिन टिकट बंटवारे में उनकी सलाह को नजरअंदाज कर दिया गया तथा कई ऐसे मुद्दे सतह पर लाए गए जो भाजपा के नारों के आगे छोटे साबित हुए जबकि तमाम क्षेत्रीय पार्टियां कांग्रेस से कहीं आगे निकल गई चाहे वह दक्षिण भारत के राज्य हो या फिर उत्तर पूर्व के कई राज्य कांग्रेस शिखर से शून्य पर आ गई शून्य पर आ गई इसीलिए तमाम नेताओं के दबाव के बावजूद राहुल गांधी अपने फैसले से टस से मस नहीं हो रहे हैं
दूसरी तरफ अगर राहुल गांधी की नीति को आधार मानकर राजधानी दिल्ली झारखंड हरियाणा एवं आदि राज्यों में जो चुनाव होने हैं उनमें आधे से ज्यादा ज्यादा टिकट नए लोगों को दिया जाएगा साथ ही जो परिवारवाद की राजनीति है उसको दरकिनार कर नए लोगों को न केवल टिकट दिया जाएगा बल्कि उनकी हर तरह से से पूरा सहयोग भी किया जाएगा इसमें कुछ चेहरे ऐसे होंगे जो शायद पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे होंगे टिकट देने का पैमाना उम्मीदवारों की योग्यता सौम्यता तो आधार हो गई साथ में समाज में उनकी क्या घुसपैठ है उसको भी मद्देनजर रखा जाएगा लेकिन 2 सप्ताह के बाद इस तरह कांग्रेस में स्तीफों का दौर चला है उससे लगता है कि अब गांधी नेहरू परिवार के अलावा कांग्रेस के लोगों को एहसास हो गया है अगर वे अपने पद को लेकर के जमे रहेंगे तो हो सकता है आने वाले दिनों में उनकी मुख्यमंत्री पद की कुर्सी भी खतरे में पड़ जाए और यह लोग अपना अपना अस्तित्व बचाने के लिए राहुल गांधी पर इस्तीफा ना लेने का दबाव का बना रहे हैं यहां इस बात का उल्लेख कर देना उचित होगा कि पहले जब चुनाव परिणाम आते थे तो कांग्रेस के तमाम नेता बंद कमरों में या तो आराम फरमा रहे होते थे या खुमारी निकालने के लिए विदेशी दौरे पर चले जाते थे लेकिन राहुल गांधी के अड़ियल रवैया से और आए दिन भाजपा के कटाक्ष से कोई भी कांग्रेसी नेता चाहते हुए भी विदेश यात्रा पर नहीं जा पाए हारने के बाद कांग्रेश के लिए शुभ संकेत तो कहे जा सकते हैं लेकिन यह भी सच है अब की तमाम कांग्रेसी नेताओं को यह डर सताने लगा है कि कांग्रेस ने जिस जिस तरह से नई कल्चर बन रही है उसे उन लोगों का अब ज्यादा दिन तक अपने पदों पर बने रहना आसान नहीं होगा राहुल चाहते थे की कामराज प्लान के तहत, "aajkadinnews.com पूर्व में भी इस बात का उल्लेख कर चुका है की कांग्रेस पार्टी ने कामराज प्लान पार्टी ने कामराज प्लान" अब काग्रेस का हाईकमान उसी तरफ आगे बढ़ रहा है यह सब आगामी महीनों में होने वाला विधानसभा चुनाव के पहले हो जाना चाहिए ऐसा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का कहना है बहरहाल जिस तरह से पल पल कांग्रेस में उठापटक मची है या फिर ताना-बाना बुना जा रहा है उसे लगता है कि केंद्रीय स्तर से लेकर राज्यों तक अपनी जड़े जमा चुके तमाम बुजुर्ग नेताओं को अब बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा तथा उन तमाम नए लोगों को वह मौका दिया जाएगा जो पार्टी के लिए लंबे समय से संघर्षरत हैं अब देखना यह है कि कांग्रेस पार्टी का हाईकमान इसमें कितना कामयाब हो पाता है तथा विधानसभा चुनाव कितने नए चेहरों को टिकट देती है ।

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