Updates
  1. दुलदुला भाजपा मंडल अध्यक्ष के भांजा - भांजी को हॉस्पिटल देखने पहुंची विधायक गोमती साय : एक्सीडेंट उपरांत जिंदल हॉस्पिटल रायगढ़ में हो रहा है ईलाज
  2. चुनाव में अपने स्वतंत्र मताधिकार का उपयोग करने प्रशासन का अनोखा पहल,मतदाताओं को सादरी बोली में दिलाई गई शपथ
  3. नगर पंचायत अध्यक्ष रजनीश पाण्डेय ने थामा बीजेपी भी दामन
  4. स्वामी आत्मानंद स्कूल में विस क्षेत्र जशपुर -12 का कमिशनिंग कार्य हुआ संपन्न : प्रेक्षक की उपस्थिति में ईव्हीएम व वीवीपैट का किया गया कमिशनिंग
  5. लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अवैध शराब, एवं सामग्री और भारी मात्रा में नकदी पर नजर रखने और गंभीरता से जाँच का निर्देश देते हुवे सरगुजा कमिश्नर जी आर चुरेंद्र ने किया स्थैतिक निगरानी दल जाँच नाका का आकस्मिक निरीक्षण
slider
slider

किसान विरोधी कृषि कानूनों और बजट के खिलाफ कल 6 फरवरी को पूरे प्रदेश में चक्का जाम और प्रदर्शन : छत्तीसगढ़ किसान सभा

news-details

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और संयुक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर कल 6 फरवरी को छत्तीसगढ़ किसान सभा और आदिवासी एकता महासभा सहित छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन से जुड़े घटक संगठन किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने और सी-2 लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने का कानून बनाने की मांग पर तथा केंद्र सरकार के किसान विरोधी और कॉर्पोरेटपरस्त बजट के खिलाफ पूरे प्रदेश में प्रदर्शन और चक्का जाम करेंगे।

आज यहां जारी एक बयान में छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ दिल्ली में धरनारत किसानों की नुकीले तारों से बाड़ेबंदी और सड़कों पर कीलें ठोंकने की कड़ी निंदा की तथा कहा कि किसी भी लोकतांत्रिक देश में जन आंदोलन का इस तरह दमन सरकार के बर्बर और असभ्य होने की निशानी है। पूरी दुनिया भाजपा सरकार की इस असभ्यता को देख रही है और इसके खिलाफ सड़कों पर उतर रही है। इस आंदोलन को कवर कर रहे पत्रकारों के दमन की भी उन्होंने तीखी निंदा की है। 

उन्होंने कहा कि किसानों की आय को दुगुना करने का वादा करने वाली सरकार ने हर साल की तरह इस वर्ष के बजट में भी वर्ष 2019-20 में कृषि क्षेत्र में किये गए वास्तविक खर्च की तुलना में 8% की और खाद्यान्न सब्सिडी में 41% की कटौती की है। इसके कारण किसानों को मंडियों और सरकारी सोसाइटियों की तथा गरीब नागरिकों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली की जो सुरक्षा प्राप्त है, वह कमजोर हो जाएगी। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के लिए इस देश के 15 करोड़ लघु व सीमांत किसानों के लिए 90000 करोड़ रुपयों की आवश्यकता है, लेकिन मात्र 65000 करोड़ रूपये ही आबंटित किये गए हैं। 5 करोड़ से ज्यादा अप्रवासी मजदूरों के अपने गांवों में वापस लौटने के बावजूद मनरेगा के मद में कोई वृद्धि नहीं कि गई है। इससे रोजगार का संकट और गहरा होगा। सार्वजनिक क्षेत्र की अप्रयुक्त जमीन को उसके मूल भूस्वामियों को लौटाए जाने की जरूरत है, लेकिन इसे कॉरपोरेटों को सौंपने की योजना बनाई गई है। इससे किसानों की बेदखली और बढ़ेगी। इस बजट से मोदी सरकार का किसान विरोधी और आदिवासी विरोधी चेहरा बेनकाब हो गया है। 

किसान सभा नेताओं ने कहा है कि इन सत्यानाशी नीतियों के खिलाफ 6 फरवरी को पूरे छत्तीसगढ़ में सड़कों को जाम कर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जब तक ये सरकार किसान विरोधी कानूनों को वापस नहीं लेती, किसानों का देशव्यापी आंदोलन जारी रहेगा। यह आंदोलन देश की समूची अर्थव्यवस्था के कारपोरेटीकरण के खिलाफ आम जनता का देशभक्तिपूर्ण आंदोलन है और इसका दमन करने, फूट डालने या इसे बदनाम करने की मोदी सरकार की साजिशें सफल नहीं होंगी।


 

whatsapp group
Related news