नितिन राजीव सिन्हा
दैनिक भास्कर को दिये गये साक्षात्कार में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने आख़िरकार स्वीकार कर लिया है कि इस चुनाव में भूपेश बघेल का चेहरा ही सबसे बड़ा मुद्दा है वहीं उन्होंने अपने इस चुनाव काल में १४ नवंबर २०२३ को रायपुर से प्रकाशित होने वाले प्रमुख अख़बार को दिये गये साक्षात्कार में पीएम मोदी का नाम प्रमुखता से लेना भी ज़रूरी नही समझा वहीं दूसरी तरफ़ भारतीय जनता पार्टी ने छत्तीसगढ़ के तमाम अख़बारों में फ़्रंट पेज विज्ञापन दिये हैं जिसमें छत्तीसगढ़ के किसी भी नेता मसलन रमन सिंह तक की तस्वीर नहीं डाली गई है इस तरह से यह संकेत दे दिया गया है कि खोटे सिक्के चल नहीं पा रहे हैं सो,मोदी के घिसे पिटे चेहरे पर ही चुनाव लड़ने की मजबूरी केंद्रीय भाजपा नेतृत्व की साफ़ झलक रही है..,
भाजपा के राज्य नेतृत्व और केंद्रीय नेतृत्व में अजीब कश्मकश की स्थिति दिखाई पड़ रही है राज्य नेतृत्व के काम पर पीएम मोदी की टीम भरोसा नहीं कर रही है वहीं रमन सिंह का भरोसा पीएम मोदी के चेहरे पर जरा कम हुआ दिखाई पड़ता है क्योंकि वे भली भाँति वाक़िफ़ हैं कि २०१८ के चुनाव में मोदी ने जिन १८ विधानसभा सीटों पर आम सभायें की थी उन सभी सीटों पर भाजपा प्रत्याशी बुरी तरह चुनाव हारे थे..,
इस साक्षात्कार में एक प्रश्न के जवाब में रमन सिंह स्वीकार करते हैं कि प्रत्याशी चयन में चूक हुई है वे स्वीकार करते हैं कि १००% सही प्रत्याशी नहीं मिले हैं ..,
यह अप्रत्याशित तौर पर उनके द्वारा अनपेक्षित चुनाव परिणामों की स्वीकारोक्ति है जिसके मायने गहरे हैं कि दूसरे चरण के मतदान से पहले भाजपा नेतृत्व ने कांग्रेस के सामने हथियार डाल दिये हैं..,
रमन सिंह की मायूसी पर हसरत मोहानी के शेर हैं कि,-
फिर शाम ही से
क्यूँ वो चले थे
छुड़ा के हाथ
दुखती रही जो
उनकी कलाई
तमाम शब..,
शब - रात,निशा