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प्रभु श्रीराम का संदेश पर्यावरण वन संरक्षण है तुलसी तरूवर विविध सुहाए कहुं कहुं सिए कहूँ लखन लगाये के,अयोध्या से प्रण लें पीएम मोदी कि हसदेव अरण्य के वन नहीं काटे जायेंगे न देश में वन अब उजाड़े जायेंगे..,

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नितिन राजीव सिन्हा 

भारतीय उप महाद्वीप की सभ्यता के नायक प्रभु श्रीराम की पहचान मंदिरों की दहलीज़ से परे विशाल वन भू भाग में हवाओं की सरसराहट में रची बसी है वह अयोध्या में जन्म भूमि से निकलकर रामराज की परिकल्पना में पुरुषार्थ का वरण करते हुये आसुरी शक्तियों का नाश करते हुए राजधर्म के पालन का मार्ग प्रशस्त करते हैं..,

भारत वर्ष पर मुस्लिम आक्रमण हुये निशाने पर मंदिर रहे पर,वक्त के अंतराल से न मुग़ल रहे न उनकी पहचान रही पर,रामचरितमानस के दोहे समाज में व्याप्त है वह व्यापक है तुलसीदास की विरासत जिसने सनातन इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा एक अदम्य शक्ति के रूप में हमारे समाज में हमारी लोक परंपरा में और हमारे ध्यान धारण में क़ायम है यह वही विरासत है जिसके नायक राम हैं ..,

राजपाट से परे प्रभु श्रीराम माता कैकेयी के आदेश पर चौदह वर्ष का वनवास स्वीकार किया वहीं वनवास से लौट कर धोबी के लांछन लगाने पर माता सीता का त्याग करते हुए जनास्था का सम्मान किया यह जनादेश का सम्मान कहा जायेगा जिसमें न तो सत्ता की ख़ातिर अनैतिक कृत्य किये जाने की ललक है न उन्माद न उद्वेलन है महज लोककल्याण हेतु किये जाने वाले राजा के कर्तव्य का विधान है..,

अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा आज हो रहा है मोदी सत्ता मोदी के मित्र और हिंदू समाज की उपस्थिति वहाँ रहनी है देश भर में उत्साह और उल्लास का माहौल है पर,देश का आदिवासी समाज जो रामनामी समाज है रामनाम का जाप करता है वह वन की रक्षा करता है पर,एशिया के सबसे बड़े वन क्षेत्र पर अस्तित्व का संकट खड़ा है कोयला खनन हेतु अदानी की कंपनी वनों की कटाई कर रही है आदिवासी व्यथित हैं पर्यावरण का विनाश हो रहा है पर,राम आ रहे हैं वे कभी जिन वनों से होते हुए अयोध्या लौटे थेउसमें हसदेव अरण्य भी वन गमन पथ का हिस्सा रहा है..,

राम चरित मानस में श्लोक हैं “रीझी खीझी गुरुदेव सिख सखा सुसाहित साधु तोरी खाहु फल होई भलु तरू काटे अपराधुं “

पीएम नरेंद्र मोदी हिंदू धर्म के प्रायोजित पुरूष हैं वे राम के नाम पर राजनीति करने के लिये विख्यात रहे हैं उम्मीद है कि २२ जनवरी के प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात वे रामकाज पर ध्यान केंद्रित करेंगे यह सर्वज्ञात है कि रामनाम लेने से किसी को सिद्धि प्राप्त नहीं हुई है अपितु राम जी के मर्यादित आचरण उच्च आदर्शों का वरण करके ही रामराज की परिकल्पना साकार हो सकती है पीएम मोदी की सख्शियत कसौटी पर कसी जायेगी जिसका निष्कर्ष यह होगा कि वोटों की भूख से परे वे हैं यदि ऐसा नहीं है तो पाखंड की मियाद क्षणिक होती है मोदी सत्ता के लिये यह सबब और सबक़ सन्निकट है..,

प्रभु श्रीराम की बारात जब लौट कर अयोध्या लौटी तब के परिवेश पर तुलसीदास जी राम चरित मानस में यह प्रसंग दोहराते हैं कि ‘सफल पूगफल कदलि रसाला रोपे बकुल कदम्ब तमाला’

रामराज के द्वार पर दस्तक दे रहे लोकतंत्र के संवाहकों को उम्मीद है कि पीएम मोदी और उनके मित्र राम के जीवन संदर्भों से प्रेरणा लेकर हसदेव अरण्य के वन क्षेत्र में आयेंगे पेड़ों की रक्षा का संकल्प दोहरायेंगे पर्यावरण की रक्षा संदेश देंगे..,

एलिफ़ेंट रिज़र्व क्षेत्र के लिये रामचरितमानस में लिखा गया है कि फूलहिं फरहिं सदा

तरू कानन रहहि 

एक संग गज पंचानन॥

खग मृग सहज बयरू 

बिसराई सबहिं परस्पर

प्रीति बढ़ाई ॥

२२ जनवरी के बाद चुनाव की तारीख़ तय होनी है राम के नाम पर वोट माँगने की बेला निकट है पर,प्रश्न यह है कि राम ने न तो राजपाट की लालसा मन में पाली न छल कपट कभी किया वरन वे त्याग की प्रतिमूर्ति सदैव रहे जिस पर लिखना होगा कि,-

अपना ज़माना आप

बनाते हैं अहल ए दिल 

हम वो नहीं कि जिनको

ज़माना बना गया..,

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