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मनेन्द्रगढ़ के खेड़िया तिराहे में भाजपा ने पंडित दीनदयाल जी की प्रतिमा मे पुष्पांजलि अर्पित कर किया मिष्ठान वितरण

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मनेन्द्रगढ़ । भारतीय जनता पार्टी मनेन्द्रगढ़ मंडल ने खेड़िया तिराहा मे स्थित पंडित दीनदयाल जी की प्रतिमा मे पुष्पांजलि अर्पित कर मिष्ठान वितरण किया ।

इस अवसर पर भाजपा के एमसीबी जिलाध्य्क्ष अनिल केशरवानी ने कहा कि राष्ट्र के सजग प्रहरी व सच्चे राष्ट्र भक्त के रूप में भारत वासियों के प्रेरणास्त्रोत तथा राष्ट्र की सेवा में सदैव तत्पर रहने वाले दीन दयाल जी का उद्देश्य था कि वे अपने राष्ट्र भारत को सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, शैक्षिक क्षेत्रों में बुलंदियों तक पहुंचा देख सकें । पण्डित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म जयपुर के ग्राम धनकिया में 25 सितम्बर 1916 को हुआ था । उनके पिता भगवती प्रसाद उपाध्याय स्टेशन मास्टर थे । बचपन में ही माता और पिता का देहावसान हो जाने पर उनके मामा राधारमण शुक्ल ने ही उनका लालन-पालन किया । उन्होंने अजमेर बोर्ड से मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान लेकर उत्तीर्ण कर पिलानी राजस्थान से इंटरमीडियट की परीक्षा प्रथम श्रेणी में तथा कानपुर के सनातन धर्म कॉलेज से प्रथम श्रेणी में बीए, आगरा के सेंट जोन्स कॉलेज से एमए की परीक्षा अच्छे अंकों से उत्तीर्ण करके अपनी विलक्षण प्रतिभा का परिचय दिया । विद्यार्थी जीवन में ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा से प्रभावित होकर उसमें शामिल होने का निर्णय ले लिया तथा लखीमपुर से जिला प्रचारक के रूप में 1942 में पद भार लेकर आजीवन उन्हीं के सिद्धान्तों पर चलते रहे । पण्डित दीनदयाल उपाध्याय एक ऐसी राजनीतिक विचारधारा के सूत्रधार एवं समर्थक थे, जिसमें राष्ट्रभक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी थी । राजनीति में कथनी और करनी में अन्तर न रखने वाले इस महापुरुष ने भारतीय संस्कृति के प्रति अपनी गहरी आस्था बनाये रखी ।

    वंही भाजपा के मंडल महामंत्री महेंद्रपाल सिंह ने कहा कि हिन्दुत्ववादी चेतना को वे भारतीयता का प्राण समझते थे तथा दीनदयाल जी एक राजनीतिक विचारक होने के साथ-साथ श्रेष्ठ साहित्यकार, अनुवादक व पत्रकार भी थे। 

     भाजपा जिला पंचायत सदस्य रविशंकर सिंह ने कहा कि उनकी लिखी पुस्तकों में सम्राट चन्द्रगुप्त, भारतीय अर्थनीति एक दिशा, जगदगुरू शंकराचार्य विशिष्ट हैं । उन्होंने ”पांचजन्य” तथा मासिक ”राष्ट्रधर्म”, ”दैनिक स्वदेश” पत्रिकाओं का सम्पादन भी कुशलतापूर्वक किया । 21 अक्टूबर 1951 में भारतीय जनसंघ की दिल्ली में स्थापना होने के पीछे उनका नेतृत्व प्रमुख था । भारतीय जनसंघ की कई सभाओं और अधिवेशनों में वे महामन्त्री और अध्यक्ष भी रहे वंही पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जी राष्ट्रनिर्माण के कुशल शिल्पियों में से एक रहे हैं । व्यक्तिगत जीवन तथा राजनीति में भी सिद्धान्त और व्यवहार में समानता रखने वाले इस महान भारतीय को काफी विरोधों का सामना करना पड़ा । किन्तु राष्ट्रभक्ति ही जिनका ध्येय हो, ऐसे महापुरुष को भला कौन उनके उद्देश्यों से डिगा सकता है ।    

       उक्त कार्यक्रम मे भाजपा के जिलाध्यक्ष अनिल केशरवानी, लखन लाल श्रीवास्तव, संजय सिंह, रविशंकर सिंह, आलोक जायसवाल, महेन्द्र पाल सिंह, रामधुन जायसवाल, श्रीमती जया कर, अलका गांधी, शकुंतला सिंह, जे .के. सिंह, दिनेश राम, जी. पी. बुनकर, जयंती लाल यादव, ओम प्रकाश जायसवाल, गुरजीत सिंह खनूजा, संजय गुप्ता, मनोज केशरवानी, रामरतन चौधरी, जलील शाह, हिमांशु श्रीवास्तव, अभिमन्यु उपाध्याय, अरुण सिंह सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

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