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पारंपरिक जतरा मेला के आयोजन को लेकर एक बार फिर हुई विवाद की स्थिति निर्मित,आयोजन स्थल को लेकर मुहल्लेवासियों ने किया कड़ा विरोध तो वहीं गौशाला में आयोजन को लेकर बनी सहमति : जशपुर एस.डी.एम.ने सुझबुझ से कराया विवाद का निपटारा

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जशपुर : पारंपरिक जतरा मेला के आयोजन को लेकर एक बार फिर विवाद की स्थिति निर्मित हुई है।इस बार विवाद का कारण आयोजन स्थल को लेकर मुहल्लेवासियों का विरोध करना था।

विदित हो कि जब एसडीएम कार्यालय में विवाद निपटाने बैठक शुरू हुआ तो एसडीएम के कुशल कार्यप्रणाली के कारण उपजा विवाद शांतिपूर्ण तरीके से निपट गया।यहां सर्व सहमति से आयोजन स्थल परिवर्तन करते हुवे गौशाला में मेला का आयोजन करने का निर्णय लिया गया।जिसके तहत 2 दिवस के भीतर संपूर्ण प्रक्रिया पूर्ण कर सक्षम ठेकेदारों द्वारा बोली लगाई जाएगी।आयोजन स्थल और नीलामी प्रक्रिया पर गुरूवार को पालिका की सामान्य सभा में आगे का निर्णय लिया जाएगा।


ज्ञात हो कि प्रति वर्ष की इस वर्ष भी पारंपरिक जतरा मेला का आयोजन जशपुर नगरपालिका क्षेत्र में होना है।जिसके लिये नगरपालिका ने विधिवत अखबारों में विज्ञापन प्रकाशन करते हुवे शहर में मुनादी भी कराया।जिसमें निकाले गए निविदा के तहत 11 जनवरी को सक्षम बोलीदारों द्वारा खुली बोली बोलकर निविदा प्रक्रिया पूर्ण कराया जाना था।इसके लिए कुल 4 ठेकेदारों ने बकायदा शुल्क जमा कर निविदा प्रक्रिया हेतु शामिल होने समय पर पालिका भी पहुंचे।लेकिन आयोजन स्थल को लेकर उपजे विवाद के कारण मामला एसडीएम के समक्ष पहुंच गया।मुहल्लेवासियो के विरोध को देखते हुवे एसडीएम सुश्री श्यामा पटेल ने मुहल्लेवासियों के साथ साथ मेला ठेकेदारों सहित पालिका के अधिकारी व कर्मचारी के साथ पार्षदों को अपने दफ्तर बुलाया।जहां मुहल्लेवासियों ने कोरोना संक्रमण के बढ़ने की आशंका व्यक्त करते हुवे बच्चों के परीक्षा का हवाला देते हुवे स्थल परिवर्तन का मांग किया।मुहल्लेवासियों ने दावा किया की मेला के आयोजन के दौरान मारपीट को स्थिति निर्मित होती है जिस कारण वे एकजुट हो आयोजन स्थल परिवर्तन का मांग कर रहे हैं।लेकिन 100 - 200 मीटर की दूरी पर स्थित गौशाला में आयोजन पर मुहल्लेवासियों को न तो कोरोना बढ़ने का खतरा लगा और न ही यहां बच्चों का परीक्षा प्रभावित होता नजर आया और न ही यहां मारपीट अथवा अन्य गतिविधि को आशंका उन्हें हुई क्योंकि अगर ये सब मुहल्लेवासियों को होता दिखाई देता तो वे गौशाला में भी आयोजन का विरोध करते लेकिन उन्होंने विरोध न कर समर्थन देते हुवे इस बात का प्रमाण भी दे दिया।जिसका तात्पर्य है की जिस बात का विरोध आवेदन में मुहल्लेवासियों ने किया था उसी मुहल्ले में स्थित गौशाला में यह विरोध समर्थन में बदल गया यानी 100 - 200 मीटर के दायरे में विरोध व समर्थन का खेल शुरू हो गया।

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