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हरेली..हरियाली का वास्ता “भूपेश सरकार ने दी तीज त्योहारों पर छुट्टी..’

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"नितिन राजीव सिन्हा"

छत्तीसगढ़ की परंपरा और संस्कृति को जीवंत रखना ज़रूरी मुद्दा रहा है इस पर भूपेश सरकार ने एतिहासिक फ़ैसला लेते हुए हरेली, तीजा और कर्मा जयंती तथा छठ,आदिवासी दिवस पर अवकाश देने की घोषणा करके बता दिया है कि धर्म और कर्म में सामंजस्य हो तभी राजधर्म का बेहतर निर्वहन किया जा सकता है..,
जिस प्रदेश में अधोसंरचना के विकास के नाम पर पूर्व की भाजपा सरकार ने करोड़ों पेड़ बेरहमी से काट दिये हों उस राज्य में हरेली पर अवकाश घोषित किया जाना साहसिक कदम माना जायेगा..,
वहीं तीज और कर्मा जयंती के अलावा आदिवासी दिवस एवं बिहार झारखंड के महत्वपूर्ण छठ पर्व पर भी छुट्टी दी गई है यह सराहनीय फ़ैसले हैं..,
भूपेश सरकार ने ग्राम उदय के जिस पद्धति को सरकार चलाने का माध्यम माना है वह स्थानीय लोगों के लिए जीवन दायिनी बन जाने वाला है पेड़ जिस तरह से विकास के नाम पर काटे गए उससे छत्तीसगढ़ के लोगों के लिये हरेली पर्व प्रासंगिक नही रह गया था ,वहीं खेत की ज़मीनों पर उद्योग उग रहे थे इससे भी खेत खलिहानों की दुर्दशा हो रही थी..”भूपेश बघेल ने मूल छत्तीसगढ़ वासियों को यह संकेत दे दिया है कि यह उनके हितों की रक्षा करने वाली सरकार है यह पूँजीपंछियों की सरकार नही है जो लूट कर फुर्र हो जायें जैसा रमन सिंह की सरकार में होता आया था वैसा अब नही होगा तब पेड़ कटते थे अब पेड़ लगेंगे तब हरेली लुप्त हुई थी अब हरेली पर हरियाली का वास्ता फिर दिया जायेगा..,जिस पर लिखना होगा कि-
कितना अच्छा
होता है किसी
पेड़ की छांव
मे खड़ा रहना
बरगद की राह
या पीपल की
बाँह,मैं देखता
हूँ आकाश को
पेड़ों पर उतरते
और ज़मीं
पर खड़े
हुए दरख़्तों को
हवा संग
गुनगुनाते हुए..,

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