Updates
  1. चिरमिरी के गोदरीपारा में सजा बाबा बागेश्वर धाम का दरबार, कथा सुनने दूर दूर से पहुंचेंभक्त -
  2. कलेक्टर के निर्देश पर हुआ मतदाता जागरूकता अभियान का आयोजन,जागरूकता अभियान में दिखा अनोखा पहल,दर्जन भर ट्रैक्टर में सवार हो ग्रामीणों को किया गया जागरूक
  3. जोगी कांग्रेस के स्‍व‍कथित नेता हैप्‍पी भाटिया के खिलाफ महिला उत्‍पीड्न का मामला, पीडि़ता की शिकायत पर पुलिस सख्‍त, अपराध दर्ज , जांच में जुटी
  4. जिला निर्वाचन अधिकारी ने जिले वासियों के लिए नेवता पाती के माध्यम से मतदान दिवस के लिए किया आमंत्रित
  5. चिरमिरी पुलिस ने किया बिना नम्बर स्कूटी में अवैध मादक गांजा का परिवहन करते गांजा विक्रेता को गेल्हापानी से गिरफ्तार
slider
slider

“धान की चिन्ता,धन की चिंता..!!!

news-details

नितिन राजीव सिन्हा

धरा,कभी इबादत
थी अब व्यापार बन
बन गई है
धान की बाली की
महक किसान की
इबादत बन गई है
सूखे हैं खेत जिनके
उस किसान के पसीनें
उन लकीरों को छूते हैं
जो,चिंता की तक़रीर
बन गये हैं..,
कल शाम एक शिक्षिका जो किसान की पत्नी है से बात हुई उन्होंने कहा कि खेत में छोटे छोटे से धान उगे हैं पर,बारिश नही हो रही है कहीं अकाल न पड़ जाये..कैसे हमारे गुज़ारे होंगे ? उस चिंता के साथ किसानों के इस देश को भी चिंतित होना चाहिये क्योंकि ज़मीं जो हमारी माता थी हमनें उसके मोल तय कर लिये हैं ज़मीं के दलाल पैदा कर दिये हैं..यही इस देश का दुर्भाग्य है..,
किसान धरती माँ को सँवारता है उसे सजाता है और धरा के कोख से अन्न के दाने उगाता है लिखना होगा कि किसान की पढ़ी लिखी पत्नी की बात ने मुझे झकझोर कर रख दिया है कि पानी कितना अनमोल है और हमारी सरकारें इस पूँजी को सहेजने में विफल रही है विकास की हर योजना “ज़मीन और उसकी हरियाली को नष्ट कर देती है..,”
इस बीच अख़बार में ख़बर है कि “@६५० करोड़ के बाज़ार पर मानसून की बेरुख़ी का साया..”ठीक बात है देश तो किसानों पर नज़रे जमाये है और किसान आसमाँ पर टकटकी लगाये है लेकिन विकास की इस अंधी दौड़ में “किसान कहाँ है,उसके खेत कहाँ हैं,धान की उगती बालियाँ कहाँ है,धरा के पेड़ कहाँ हैं..?” जब ज़मीन के दलाल किसान की नियति तय कर रहे हों तो मानसून की बेरुख़ी पर कोई ख़बर क्यों है..?
उम्मीद है मानसून हमारी बात सुनेगा वह जल्द ही बरसेगा धान की कोपलों पर उसकी कृपा बरसेगी पर, चिंता फिर भी किसान ही है क्योंकि वह अदानी नहीं है कहा जाता है कि देश के सारे किसानों पर सरकार का कुल क़र्ज़ क़रीब @९० हज़ार करोड़ है और अकेले अदानी के हिस्से सरकारी क़र्ज़ की रक़म क़रीब इतनी ही है..,शायर इक़बाल साजिद ने लिखा है कि-
प्यासो रहो न
दस्त में बारिश
के मुतंजीर
मारो जमीं पे
पाँव के पानी
निकल पड़े..,
आगे हम लिखेंगे
के “आसमाँ पर
टकटकी लगाने
वालों जिस धरा
मे सात हाथ
के गड्ढे कुआँ
बन जाते थे
वहाँ पानी
पाताल तक
जा पहुँचे हैं
क्या कहें यह
अदानी पर
सरकार की
नादानी है
या देश की
बदनामी है
के,रंक किसान
है और
राजा अदानी है..!!!

whatsapp group
Related news