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राजकुमार मिश्रा द्वारा एंटी करप्शन ब्यूरो और राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के द्वारा दर्ज किए जाने वाले एफआईआर को वेबसाइट पर अपलोड करने हेतु दायर जनहित याचिका निराकृत

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चिरमिरी । चिरमिरी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा के द्वारा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका संख्या 154 वर्ष 2021 प्रस्तुत कर मांग किया गया था कि एंटी करप्शन ब्यूरो और राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में दर्ज होने वाले एफआईआर को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश दिया जाए ।

        यूथ एसोसिएशन विरुद्ध यूनियन ऑफ इंडिया में सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा 7 सितंबर 2016 को यह निर्देश दिया गया था कि सभी अपने दर्ज एफआईआर को 15 नवंबर 2016 तक वेबसाइट पर अनिवार्य रूप से अपलोड करें ।     

      इस आदेश के बाद सभी थाने सीबीआई एनआईए आदि अपने यहां दर्ज होने वाले एफआईआर को वेबसाइट पर अपलोड करने लगी, किंतु छत्तीसगढ़ का एंटी करप्शन ब्यूरो और राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो अपने यहां दर्ज एफआईआर को वेबसाइट पर अपलोड नहीं करती थी । इस संबंध में याचिकाकर्ता ने कई बार पत्राचार किया किंतु ना तो उसके पत्रों पर कोई कार्यवाही की गई और ना ही उसके पत्रों का कोई जवाब दिया गया ।

      इसके बाद याचिकाकर्ता ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में जनहित याचिका प्रस्तुत किया । याचिका में कोर्ट द्वारा नोटिस जारी करने पर राज्य सरकार और इन संस्थाओं के द्वारा न्यायालय में जवाब प्रस्तुत कर कहा गया कि यदि इस तरह के एफआईआर को वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाए तो भ्रष्टाचार के आरोपित व्यक्तियों की गोपनीयता भंग हो जाएगी । 

     इस जवाब पर याचिकाकर्ता ने कड़ी आपत्ति किया ।याचिकाकर्ता का मानना था कि किसी भ्रष्टाचार के अधिकारी या नेता के भ्रष्टाचार के केस में आरोपी होने पर किसी भी प्रकार से गोपनीयता भंग नहीं होती है ।छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के तात्कालिक मुख्य न्यायाधीश नाराजगी व्यक्त किए और एफआईआर को वेबसाइट पर अनिवार्य रूप से अपलोड करने का निर्देश दिए ।

      दूसरी बार सुनवाई में राज्य सरकार और एंटी करप्शन ब्यूरो तथा राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के द्वारा  कोर्ट को बताया गया कि 4 लोगों की टीम बनाई गई है जो एफआईआर को वेबसाइट पर अपलोड करने के संबंध में कार्रवाई कर रहे हैं ।

दिनांक 24 अप्रैल 2023 को कोर्ट के सुनवाई में बताया गया कि एंटी करप्शन ब्यूरो और राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के द्वारा एफआईआर को वर्ष 2017 से अब तक के समस्त एफआईआर को वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है । इसके पश्चात यह जनहित याचिका छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और जस्टिस संजय के. अग्रवाल के कोर्ट से निराकृत कर दिया गया.

     याचिकाकर्ता राजकुमार मिश्रा का कहना है कि इस तरह से वेबसाइट पर एफआईआर अपलोड हो जाने के कारण कहीं से कोई भी व्यक्ति देख सकेगा कि छत्तीसगढ़ के किस अधिकारी या नेता के विरुद्ध किस किस अपराध के तहत एफआईआर दर्ज किया गया है । जिससे राज्य शासन में पारदर्शिता बढ़ेगी ।

 आरटीआई कार्यकर्ता का मानना है कि यह उनके एक बड़ी सफलताओं में से एक है ।

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