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ई कॉमर्स कंपनियों और ब्रांडों एवं बैंकों की मिलीभगत से सरकार को लग रहा जीएसटी का चूना,,कैट ने सरकार को सौंपा नुकसान का पूरा खाखा

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कैट ने पीयूष गोयल को भेजे पत्र में न्यूनतम मूल्य प्रणाली लागू करने का दिया सुझाव
रायपुर-कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंड़िया ट्रेड़र्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष मगेलाल मालू, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, प्रदेश महामंत्री जितेंद्र दोशी, प्रदेश कार्यकारी महामंत्री परमानंद जैन, प्रदेश कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं प्रदेश प्रवक्ता राजकुमार राठी ने बताया कि कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट ) ने आज केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल को भेजे एक पत्र में बेहद अफ़सोस जताते हुए कहा की  सरकार की एफडीआई नीति के रहते और सरकार द्वारा बार बार सख्त चेतावनी की भी अवहेलना करते हुए अमेज़ान एवं फ्लिपकार्ट सहित अनेक ई-कॉमर्स कंपनियों ने अपनी अनैतिक और अनुचित व्यापारिक प्रथाओं को जारी रखते हुए देश के ई कॉमर्स एवं रिटेल बाज़ार को बुरी तरह विषाक्त और विकृत कर दिया है । इन परिस्थितियों पर गहरी चिंता जताते हुए कैट ने श्री गोयल को सुझाव दिया है की सरकार ई कॉमर्स और रिटेल बाज़ार को व्यवस्थित करने के लिए न्यनतम मूल्य प्रणाली लागू करे ।
कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री अमर पारवानी ने कहा कि ई कॉमर्स कंपनियों की मनमानी से प्रदेश के 6 लाख एवं  देश में 7 करोड़ से अधिक छोटे व्यवसाय बेहद परेशान हैं, और अत्यधिक निराश हैं क्योंकि इन ई-कॉमर्स कंपनियों ने सरकार के पालिसी को धता बताते हुए देश के ई कॉमर्स एवं रिटेल व्यापार पर कब्ज़ा जमाने के सभी अनैतिक रास्ते अपनाये हुए हैं, और बेहद सुनियोजित तरीके से  से ई-कॉमर्स कंपनियां लागत से भी कम मूल्य और गहरी डिस्काउंट प्रणाली को जारी रखे हुए हैं । सरकार की चेतावनी और पालिसी का इनके लिए कोई महत्व नहीं है । बेहद अफ़सोस है की ब्रांड कंपनियां भी इन कंपनियों के साथ गलबहियां करते हुए अपने वितरकों और रिटेलरों जिन्होंने इन ब्रांड कंपनियों में भारी निवेश किया है को दरकिनार करते हुए ई कॉमर्स कंपनियों को बहुत ही कम दाम पर माल बेच रही हैं । वहीँ दूसरी तरफ अनेक बैंक भी अनेक प्रकार की स्कीम ई कॉमर्स कंपनियों को देकर इनके खेल में शामिल हो गई हैं और इन तीनों के नापाक गठबंधन के चलते वास्तविक बाजार मूल्य की तुलना में काफी कम कीमतों पर माल बेचकर सरकार को जीएसटी राजस्व  का बड़ा नुकसान खुले आम किया जा रहा है ।
देश भर के व्यापारियों का स्पष्ट मत है कि अगर इन कंपनियों को अपने वर्तमान कारोबारी मोडल को जारी रखने की अनुमति दी जाती है तो वे दिन दूर नहीं जब ये कंपनियां ईस्ट इंडिया कंपनी के दूसरे संस्करण के रूप में उभरेंगी जो न केवल खुदरा व्यापार के लिए हानिकारक होगा बल्कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी खतरनाक स्थिति साबित होगी।



श्री गोयल को भेजे अपने पत्र में कैट ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों यह वास्तव में  ई कॉमर्स एवं रिटेल बाजार में एक मूल्य युद्ध है जिसको देखते हुए कैट ने कहा की यह सही समय है जब सरकार को “ न्यूनतम मूल्य प्रणाली  “(एमओपी) को लागू करना चाहिए । एमओपी वह मूल्य है जो किसी भी वस्तु के लैंडिंग मूल्य, परिचालन लागत और उचित लाभ मार्जिन को जोड़कर निकाला जाता है और उससे नीचे की कीमत पर कोई उत्पाद नहीं बेचा जा सकता । इस सन्दर्भ में सरकार ब्रांड कंपनियों की यह जिम्मेदारी तय करे कि वे अपने खरीदारों को बाजार का संतुलन बनाए रखने के लिए अपने उत्पादों को एमओपी से नीचे न बेचने का फार्मूला तय करें। 
कैट ने आगे कहा कि ऑनलाइन और ऑफलाइन व्यापार दोनों के लिए ब्रांड्स द्वारा छूट की एक समान नीति होनी चाहिए। बैंकों द्वारा दिए गए क्रेडिट कार्ड पर नकद वापस ऑफ़लाइन व्यापार के लिए भी लागू किया जाना चाहिए। ऑनलाइन या ऑफलाइन व्यापार के लिए किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए। ब्रांड्स द्वारा अपग्रेड या बायबैक ऑफर ऑफलाइन और ऑनलाइन ट्रेड दोनों के लिए समान रहना चाहिए। ब्रांड्स की सभी स्कीमों को पारदर्शी तरीके से ऑनलाइन और ऑफलाइन व्यापार के लिए उपलब्ध कराया जाना चाहिए। इस तरह से  खुदरा व्यापार के हर स्टेकहोल्डर के लिए एक समान स्तर की प्रतिस्पर्धा होगी जो ऑफ़लाइन और ऑनलाइन व्यापार दोनों में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करेगा।
श्री पारवानी ने एमओपी पर सभी हितधारकों के साथ चर्चा करने और उसी के लिए नियमों को तय करने के लिए श्री गोयल से आग्रह किया है,  और यह भी मांग की कि सरकार को देश के ई कॉमर्स और खुदरा व्यापार के लिए एक रेगुलेटरी अथॉरिटी का गठन करे और कॉर्पोरेट रिटेल, छोटे रिटेल व्यापारी ,ई कॉमर्स तथा  डायरेक्ट सेलिंग।को अथॉरिटी के दायरे में लाया जाए।  कैट ने यह भी कहा की एमओपी तय होने के बाद किसी भी स्कीम को लागू करने के लिए रेगुलेटरी अथॉरिटी से स्वीकृति लेना आवश्यक किया जाए । श्री पारवानी ने यह भी मांग की है की की ई-कॉमर्स में कैश ऑन डिलीवरी (सीओडी) की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और ऑनलाइन बिक्री में सभी डिलीवरी को केवल डिजिटल भुगतान स्वीकार करना चाहिए।

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