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aajkadinnews.com में पढ़े : धनतेरस 2019: गुडलक के लिए खरीदें ये सामान...जानिए क्यों मनाई जाती है धनतेरस का त्योहार

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भरत शर्मा की रिपोर्ट

आज का दिन न्यूज वेब पोर्टल रतलाम:  धनतेरस के दिन आरोग्य यानी उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करने वाले भगवान धनवंतरी का प्राकट्य हुआ था इसलिए इसदिन इनकी पूजा होती है। धनवंतरी महाराज की पूजा के पहले इस दिन घर के मुख्य द्वार पर एक कौड़ी रखकर एक दीप प्रकाशित करना चाहिए। इसके बाद एक दीप घर के बाहर या छत पर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके रखना चाहिए। इसके बाद भगवान धनवंतरी की पूजा करनी चाहिए। इनसे प्रार्थना करें कि आपके घर में धन संपत्ति की वृद्धि हो और धन में ठहराव हो यानी बरकत रहे। गुडलक के लिए धनतेरस के दिन खरीदें इनमें से कोई एक सामान धनतेरस की पूजा के लिए सबसे उत्तम समय में खरीदे। क्योंकि धनतेरस पर सोना, चांदी और स्थायी संपत्ति की खरीदारी के लिए भी यह समय सबसे उत्तम है।...

संपत्ति की खरीदारी के लिए भी यह समय सबसे उत्तम है।

25 अक्टूबर को ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाएगा

इस साल धनतेरस से लेकर दीपावली तक तिथियों की ऐसी स्थिति बनी है जिससे उलझन की स्थिति पैदा हुई है। दरअसल एक ही तिथि दो दिन आने से यह कन्फ्यूजन है। दो दिन धनतेरस, दो दिन नरक चतुर्दशी और दो दिन अमावस्या तिथि है जिसमें दीपावली मनाई जाती है। लेकिन ज्योतिर्विद पं. सोमेश्वर जोशी ने बताया कि कोई भी त्योहार दो दिन नहीं मनाया जा सकता इसके लिए शास्त्रों में कुछ नियम बनाए गए हैं। इसी नियम के कारण 25 अक्टूबर को ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाएगा। जबकि त्रयोदशी तिथि तो 26 अक्टूबर को भी है। यह स्थिति उसी प्रकार है जैसे अनेका.नेक साधारण अप्रमाणिक अर्वाचीन कैलेंडर ओर पंचांगों के कारण ऐसा भ्रांति के कारण लगने लग जाता है। परन्तु सत्य यह है कि कोई भी व्रत, तिथि त्योहार दो नही होते जैसे वस्तु एक ही होती है द्रष्टिकोण अलग होता है उसी कारण ऐसा होता है।

धनतेरस मुहूर्त और शुभ योग

त्रयोदशी तिथि का आरंभ शाम को 7 बजकर 8 मिनट पर हो रहा है। जो अगले दिन दोपहर 3 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगा। प्रदोष काल शाम 5 बजकर 42 मिनट से रात 8 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। इसबार धनतेरस पर विशेष कर सिद्ध जिसका फल अभिष्टसिद्धि होता है मिलता है। धन त्रयोदशी पर धन संपत्ति में स्थायित्व लाने के लिए स्थिर लग्न में पूजन करना शुभ रहता है। इस दिन शाम 6 बजकर 50 मिनट से रात 8 बजकर 45 मिनट तक वृषभ लग्न रहेगा।

नरकचतुर्दशी, रूपचौदस ओर दीपावली 27 को

शनिवार को चतुर्दशी दोपहर 3.46 के बाद प्रारम्भ होगी जो रविवार दोपहर 12.22 तक रहेगी इसी कारण चतुर्दशी रविवार को मनायी जाएगी जिसके बाद अमावस्या तिथि प्रारम्भ हो जायेगी जो पूर्ण रात्रि रहेगी रात्रि अमावस्या तिथि लेने के कारण दीपावली अमावस्या भी रविवार को ही मनायी जाएगी।

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