नितिन राजीव सिन्हा
अजीत जोगी को मैं बचपन से जान रहा हूँ पहचान हो या न हो यह महत्वपूर्ण क़तई नहीं है बल्कि जब वे कलेक्टर रायपुर थे तब प्रायमरी स्कूल का विद्यार्थी होते हुये यह सुनना रोचक लगता था कि सामान्य पारिवारिक पृष्ठ भूमि का युवा अफ़सर विलक्षण मस्तिष्क का स्वामी है..,
फिर,अस्सी के दशक में उनका नौकरी छोड़ना और राजनीति में आना चर्चा में रहा १९९६ के आम चुनाव के बाद बतौर सांसद उनका संस्कृत के श्लोकों के साथ हिंदी में संसद में दिया गया तीक्ष्ण भाषण बहुत प्रभावशाली था तब मेरे जैसे युवा उनसे बेहद प्रभावित हुये थे..,
छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद उन्हें प्रथम मुख्यमंत्री बनने का मौक़ा मिला एक बेहतर प्रशासक होते हुये भी उनके तीन साल कांग्रेस के लिये काल बनकर आये और कालांतर में १५ सालों की सत्ता से दूरी ने जोगी के तीन साल के कार्यकाल को लगातार कटघरे में खड़ा किया इस दौर में जनता भाजपा के साथ क़तई भी नहीं थी पर,वह जोगी के साथ भी नहीं थी मसलन कांग्रेस लगातार तीन चुनावों में शिकस्त खाती रही क्योंकि जोगी कांग्रेस का बड़ा चेहरा थे वो,Larger than congress हो गये थे यही वह बात थी जो लोगों के गले से नीचे नहीं उतर रही थी..,
मुझे याद पड़ता है कि २०१०-११ में जोगी ने राजनांदगाँव से तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ने की इच्छा व्यक्त की थी तब के कांग्रेस अध्यक्ष नंद कुमार पटेल ने उनकी बातों पर आकर कह दिया कि मैं सोनिया गांधी से इसकी सिफ़ारिश कर दूँगा इससे जोगी प्रतिक्रियावादी बन गये और एक मौक़े पर तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष नंद कुमार पटेल के लिये अशोभनीय टिप्पणी कर दी कि “जिसकी जैसी शिक्षा...”लिखने का तात्पर्य यह है कि राजनीति के लिये जो मर्यादा की सीमायें मानी जाती हैं उनका उल्लंघन किया गया..,
तत्कालीन कांग्रेस प्रभारी महासचिव बी के हरिप्रसाद की जोगी ने सार्वजनिक मंच पर खिल्ली उड़ाई थी ऐसी कई बचकानी हरकतें वो लगातार करते रहे भूपेश बघेल जब कांग्रेस अध्यक्ष थे और विपक्ष में थे तो वो जोगी को रमन सिंह का trouble shooter कहा करते थे..,
जोगी की गिरती हुई राजनीतिक साख का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि टीएस सिंहदेव ने उनके कांग्रेस के साथ मिलने और सरकार बनने की संभावनाओं पर कह दिया था कि यदि ऐसा हुआ तो मैं सहमत नहीं होऊँगा..,