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मुकेश गुप्ता की मुसीबतें बढ़ी- विरेंद्र पाण्डे के नाम से हुई गुप्ता के ख़िलाफ़ फ़र्ज़ी शिकायत, पाण्डे ने कहा शिकायत में कहीं नहीं हैं मेरे हस्ताक्षर..,

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मुकेश गुप्ता के मामले में उनकी बेटी की फ़ोन टेंपिंग और अन्य आरोपों को आधार बनाकर सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है जिस पर ४ नवंबर को सुनवाई होनी है ऐसे में एक कथित शिकायत को आधार बना कर निलंबित डीजीपी के पक्ष में कोर्ट की सहानुभूति प्राप्त करने के प्रयास होते हुए दिखाई पड़ रहे हैं..,

सूत्रों का दावा है कि पुलिस विभाग में कुछ भेदिये हैं जो सरकार को बदनाम करने योजनाबद्ध षड्यंत्र के तहत काम कर रहे हैं फ़र्ज़ी शिकायत की ड्राफ़्टिंग किसी वक़ील से करवाई हुई दिखती है साथ ही इसमें मुकेश गुप्ता एवं राजनेश सिंह के अलावा जिन अधिकारियों के नाम दर्ज हुए हैं उन्हें बक़ौल वीरेंद्र पाण्डे वे जानते भी नहीं हैं..,

वहीं वीरेंद्र पांडेय से की गई बातचीत में उन्होंने कहा है कि फ़रवरी २०१९ में भूपेश बघेल मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन को उनके द्वारा शिकायत की गई थी जो कि डीजीपी को मुख्य मंत्री कार्यालय से प्रेषित हुई थी जिसे डीजी पी ने ईओडब्लू को भेज दिया था..,

वीरेंद्र पाण्डे का कहना है कि तब उनका बयान भी हुआ था और ऐल्बर्ट कुजूर नामक पुलिस अधिकारी ने उनका बयान लिया था,जानकारों का कहना है कि ४ नवंबर की सुनवाई के मद्देनज़र एक शीर्ष अधिकारी का दबाव था कि न्यायालय के आदेश की अवहेलना की जाये ताकि इसका लाभ न्यायालय मे मुकेश गुप्ता को मिल जाये लेकिन संबंधित अधिकारी ने ऐसा करने से मना कर दिया तब आनन फ़ानन में नये दस्तावेज़ विरेंद्र पाण्डे के नाम से बनवाये गये उसमें कुछ नये content शामिल किये गये,चूक वश बिना दस्तखत ही सोशल मीडिया में वाइरल कर दिये गये यह आत्मघाती साबित हुआ और फ़र्ज़ीवाडा उजागर हो गया..,

ज्ञात हुआ है कि सचिवालय के कुछ अधिकारी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हितों के ख़िलाफ़ काम कर रहे हैं वे बिसात बिछा रहे हैं पर,उनकी संदिग्ध गतिविधियों का अधिकारिक संज्ञान अब तक मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा नहीं लिया जाना आचार्यजनक है यह निहसंदेह इंटेलिजेन्स का फैलियर है इसे समय रहते दुरुस्त करने की ज़रूरत है..,

मुकेश गुप्ता प्रकरण में सरकार के पक्ष को कमज़ोर करने की कथित क़वायद को इसी साज़िश से जोड़ कर देखा जा रहा है..,

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