मुहब्बत निभाना यही धर्म मेरा
दिलों को मिलाना यही धर्म मेरा
ये काबा भी मेरा ये काशी भी मेरी,
यूँ मिलना- मिलाना यही धर्म मेरा
उजाले बिखेरे चलें रास्तों पर
है दीपक जलाना यही धर्म मेरा
कहाँ तू अलग है कहाँ मैं अलग हूँ
गले से लगाना यही धर्म मेरा
उदासी ये कैसी दिलों में ओ यारा
सभी को हँसाना यही धर्म मेरा
शिवालों में ढूँढूँ कि मस्जिद में ढूँढूँ
तुझी को निभाना यही धर्म मेरा
जहाँ भी मैं जाऊँ, वहीं तुझको देखूँ
तुझे गुनगुनाना यही घर्म मेरा
डॉ सीमा विजयवर्गीय