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यहां मुक्तिधाम को भी दीप जलाकर रोशन किया जाता है... इस जिले के लोग दिवाली पूर्व श्मशान में निभाते अनूठी परम्परा

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भरत शर्मा की रिपोर्ट

आज का दिन न्यूज पोर्टल रतलाम :  मध्य प्रदेश के इस जिले की अनूठी परम्परा बन गई है। यहां यम चौदस (नरक चतुर्दशी) पर शहर वासी मुक्तिधाम पहुंचकर दीप जलाकर रौशन करते है, साथ ही बच्चे-बड़े महिला-पुरुष रांगोली बनाकर आतिशबाजी भी करते है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि इस दिन यम चौदस पर अपने पूर्वजों की याद में उनके निमित्त मुक्तिधाम में पहुंचकर परिजन दीप दान कर उन्हे याद करते हुए उन्हे श्रद्धांजलि अर्पित करते है।

 

अनूठी परम्परा का निर्वाहन किया जाता

 

यह कार्यक्रम हर साल प्रेरणा सामाजिक, सांस्कृतिक संस्था के संयोजक गोपाल के सोनी के नेतृत्व में किया जाता है, और इसकी शुरुआत 2008 में की गई थी। सोनी ने बताया कि जीवन और जगत को रोशनी से भरने वाले महापर्व दीपावली की नरक चतुर्दशी पर रतलाम में अनूठी परम्परा का निर्वाहन किया जाता है। जहां एक तरफ शहर में पांत दिवसीय प्रकाश पर्व मनाया जाता है, घर आंगन, व्यवसायिक स्थल जगमगा उठते हैं। प्रेरणा संस्था सदस्यों द्वारा नरक चतुर्दशी के दिन शाम 5.30 बजे त्रिवेणी मुक्तिधाम पर उपस्थित होकर पर्व मनाया जाएगा।...

घरों से लोग लाते दीप और बाती

सोनी ने बताया कि 26 अक्टूबर को नागरिक 5 दीपक एवं बाती के साथ तेल तथा अधिक से अधिक आतिशबाजी लेकर अपने-अपने क्षेत्र के मुक्तिधाम शाम 5.30 बजे पहुंचे। वहां पर दीपदान करें एवं पूर्वजों संग दीप पर्व मनाए। पांच दिवसीय उत्सव का दूसरा दिन नरक चौदस (यम चौदस) के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन शहर सामाजिक सांस्कृतिक संस्था प्रेरणा की और से परम्परानुसार मुक्तिधाम में पूर्वजों की याद में दीप जलाकर आतिशबाजी की जाकर उन्हे श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी।

दु:ख निवारण का अद्भूत रहस्य दीपदान

सोनी ने बताया कि शास्त्रों में कहा गया है कि दीपदान करने से दु:खों का निवारण होता है, क्या ऐसा संभव है? दीपदान के लिए मुहूर्त हमारे शास्त्रों में वर्णित है, लेकिन कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी, चतुर्दशी एवं अमावस्या का दिन विशेष महत्व रखता है। दीपदान लाभकारी व दु:ख निवारण का माध्यम है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी  का दिन नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। यमराज के कोप से बचने के लिए इस दिन व्रत पूजन का विधान है।

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