तन्हाई के इस आलम में आओ बादल
तुम रोओ तो हमको साथ रुलाओ बादल
हम दरिया हैं हमसे दूर रहो तो अच्छा
जो प्यासे हैं उनकी प्यास बुझाओ बादल
पुरवाई का रस्ता तकना बंद करे अब
छत पर बैठे लड़के को समझाओ बादल
अपनी उम्र कटी तन्हाई के साये में
सूनी आँखों से मत आँख लड़ाओ बादल
राह तुम्हारी देख रहीं अंबर की परियाँ
शाम हुई वीराने से घर जाओ बादल
~डॉ.पूनम यादव