जशपुर : डोड़काचौरा और जकबा संकुल के प्रा.शा.डोड़काचौरा और प्रा.शा.पांडुल में 10 दिनों का समर कैम्प आयोजित किया गया। कैम्प के दौरान बच्चों के लिए बाल गीत, मिट्टी के मॉडलिंग, सब्जियों की पेंटिंग, पत्तियों के ट्रेसिंग, गणित पहेलियाँ, मास्क बनाना, गणित से संबंधित खेल और भाषा विकास संबंधित गतिविधियाँ आदि आयोजित की गईं।
कैम्प के आखिरी दिन पालकों ने उत्साह सहित प्रदर्शनी में भाग लिए। उन्होंने अपने बच्चों के काम को देखा और इसे सराहा। पालकों ने साझा किया कि उन्हें अपने बच्चों को ऐसी नई चीजें सीखते हुए देख बहुत खुशी हुई।
छात्रों ने अपना पोर्टफोलियो प्रदर्शित किया और उसके बारे में बताया। माता-पिता और सी ए सी छात्रों द्वार एक कड़ी में मिल कर तीन प्रकार के ताली बजाने के तरीकों को देखकर बहुत प्रभावित हुए (रेन क्लैप, वाह भाई वाह ताली इत्यादि)।
समुदाय के सदस्यों ने बहुत ही रोचक वार्तालाप साझा किया। उन्होंने कहा, "*सुबह को गाँव में कोई बच्चे नहीं दिखाई पड़ते थे और पूछताछ के बाद पता चलता था कि सभी बच्चे समर कैम्प के लिए गए हैं,साथ ही कुछ बच्चे कैंप में मिले नाश्ते को घर लाते और अपनी मां और भाई-बहनों के साथ बांट कर खाते थे।और तो और जिन छात्रों को सुबह जागने में कठिनाई होती थी वह भी समर कैम्प के लिए सात बजे तैयार रहते थे*। एक और पालक ने साझा किया कि,जब उनकी बेटी पिछले साल एक निजी स्कूल में जाती थी, तो उसे दो का पहाड़ा भी नहीं पता था लेकिन एक साल में सरकारी स्कूल में उनकी बेटी ने काफ़ी प्रगति दिखी है, ऐसा स्कूलों में ऐसी निरंतर जीवंत गतिविधियों की वजह से है। छात्रों ने कहा कि उन्हें समर कैम्प में बहुत मज़ा आया और उन्हें बाल गीत "कनक सुपारी" काफ़ी पसंद आया।
संकुल समन्वयक अमित अम्बष्ठ ने शिक्षकों के प्रयासों और समुदाय के सहभागिता की सराहना की और पालकों से अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजने का अनुरोध किया जिससे पालकों का वित्तीय खर्च में भी बचत होगी। उन्होंने साझा किया कि अगले साल हर स्कूल में समर कैम्प का आयोजन करने के लिए शिक्षकों को प्रोत्साहित किया जाएगा। प्राथमिक शाला पांडूल से अनिमा तिर्की, सुनीता बाई और जानकी तांब्रे और प्राथमिक शाला डोड़काचैरा से अनुपा खेस, नेहा सिन्हा और संदीप सक्सेना आदि शिक्षकों ने गर्मी की छुट्टियों के दौरान भी समर कैंप के द्वारा बच्चों के पठन पाठन को जारी रखने के लिए लिए अपना बहुमूल्य योगदान दिया। कैंप के आयोजन में अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन से स्वेता मैडम का भरपूर सहयोग रहा।