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चिरमिरी टाटा नाला के ऊपर बस्ती वालों को जान का ख़तरा...बस्ती के पीछे लगभग 25 ट्रक चट्टान का टुकड़ा भरभरा कर गिर गया...

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बीते रविवार 21 जुलाई को चिरमिरी नगर पालिका क्षेत्र अंतर्गत बड़ा बाजार टाटा नाला में नाले के ऊपर का चट्टानी टुकड़ा जिस का आयतन तकरीबन 25 ट्रक होगा एक साथ भरभरा कर गिर पड़ा.

 

आग की वजह कोयले के सुरंग में लगी आग को बताया जा रहा है जिसकी लंबाई का अनुमान किसी को नहीं है.
ज्ञात हो कि इस नाले के ऊपर बहुत बड़ी आवासीय बस्ती है इसके नीचे कोयले में आग लगी हुई है इसकी वजह से चट्टान गर्म होकर चटक गया। इस घटना की वजह से टाटा नाला के ऊपर निवासरत नागरिकों में भय वह रोष का माहौल है,

 

लोगों ने बताया कि इस अवैध कोयला उत्खनन की जानकारी प्रारंभ से एसईसीएल प्रबंधन व प्रशासन को लगातार दी जाती रही है जिसके प्रमाण नागरिकों के पास उपलब्ध है, उसके पश्चात भी ना तो प्रबंधन और ना ही प्रशासन सजग हुआ,
परिणाम यह हुआ कि उस कोयले में आग लग गई . आग लगने के तत्काल पश्चात भी इस बात की जानकारी प्रबंधन व प्रशासन को दी गई परंतु प्रबंधन ने महज खानापूर्ति के नाम से लोगों को हटाने का नोटिस जारी कर अपने कर्तव्यों से इतिश्री कर ली इसी की वजह है कि यह दुर्घटना हुई अभी भी समय रहते यदि इसके निपटान का प्रयास नहीं किया गया तो भविष्य में कोई भी दुर्घटना घट सकती है जिसका जिम्मेदार प्रशासन होगा.

लोगों का कहना है कि पूर्व में भी नाले के दूसरी तरफ इससे भी ज्यादा भयावह आग लगी हुई थी किंतु उस समय पदस्थ जिलाधीश महोदया ने इस पर संज्ञान लिया और प्रबंधन को त्वरित कार्यवाही करने का आदेश जारी किया नतीजा यह हुआ कि आदेश जारी होने के तत्काल बाद 200 से ढाई सौ होल पैक मिट्टी ऊपर डाली गई नतीजतन आज उस क्षेत्र की आयु में कुछ विस्तार मिल गया
उस मामले में भी प्रबंधन टालमटोल कर रहा था और बहानेबाजी भी कि कोई रास्ता नहीं है गाड़ियां वहां तक नहीं पहुंच सकती मकान तोड़ने पड़ेंगे किंतु जिलाधीश महोदय के आदेशों उपरांत सारी समस्याएं खुद-ब-खुद हल हो गई रास्ता भी निकल गया और मकान भी तोड़ना नहीं पड़ा लोगों को तत्काल प्रभाव से मकान खाली करने का नोटिस जारी करना इस समस्या का हल नहीं है यह तो वह बहाना है ताकि लोग भया क्रांत होकर दबाव ना बनाएं जबकि पूर्व में इससे भयावह आग पर ऐसी ही परिस्थिति में काबू किया गया एसईसीएल के पास इतने संसाधन उपलब्ध हैं कि वह उनका इस्तेमाल कर आज भी इस आग पर पर आसानी से काबू कर सकती है लेकिन इच्छाशक्ति और नियत का अभाव है.

 

प्रबंधन की ही लापरवाही का नतीजा है कि आज चिरमिरी का आधे से ज्यादा क्षेत्र आग के बीच बैठा हुआ है इसका समय रहते निराकरण नहीं किया गया तो परिस्थितियां बहुत भयावह हो जाएगी।अगर इन्हें विस्थापन करना ही है तो छत्तीसगढ़ राज्य विस्थापन अधिनियम 2005 के तहत लोगों को विस्थापित कर दें कुछ भी हो यह प्रबंधन की हठधर्मिता लोगों के जान से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है प्रशासन को इस मामले को संज्ञान में लेते हुए प्रबंधन को आदेशित करना चाहिए ताकि जैसे पूर्व में तत्कालीन जिलाधीश रितु सेन के कार्यकाल में कार्यवाही हुई थी वैसी ही त्वरित कार्यवाही पूरा हो सके और बिना किसी नुकसान के लोगों के जानमाल की हिफाजत हो सके.

 

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