लहू पे तेरे
देश का नाम
लिखा है..,
संग तेरे
रघुपति राघव
राजा राम का
गान लिखा है
मर गया है
तू तेरे साथ
मानवता भी
मरी है पर,तब
देश ज़िंदा था
कहते हैं लोग
अब के,
जिसनें तुझे
गोली मारी
वो,गोडसे
देश भक्त था
प्रश्न तो यह
उठता है कि
जब गोडसे देश
भक्त था तो
क्या बापू तू
देश का ग़द्दार
था..? आज
उनकी सत्ता
उनकी मीडिया
है बिका हुआ
तेरे देश का
ईमान है
गोडसे के यहाँ
मंदिर बनते
हैं,उसमें शाह
साहूकार मत्था
टेकते हैं
मोदी-महाजन
पेड़े लड्डू का
भोग लगाते हैं
बिक रहा है
देश देख बापू
आज गांधी नहीं
टिकता है राष्ट्रवाद
के बाज़ार में
भक्त को भाव
मिलता है
पर,राष्ट्रधर्म
झुकता है यहाँ
राष्ट्र टूटता है
जहाँ वह हिंदू
का हिस्सा
मुस्लिम का
क़िस्सा हुआ है
इक बँटवारे की
बुनियाद अंग्रेज़
रख गये इक
बँटवारे का
कलंक गोडसे
के वंशज अपने
माथे पर लगाने
को आतुर हुए
हैं..,लिखते हैं
दिनकर कि
पर,त्रान कहाँ?
क़िस्मत के लाखों
भोग अभी तक
बाक़ी हैं धरती
के तन में एक
नहीं सौ रोग
अभी बाक़ी हैं
जल रही दुर्गन्ध
लिये छा रहा
चतुर्दिक विकट
धूम विष के
मतवाले कुटिल
नाग निर्भय फण
जोड़े रहे घूम..,
[नितिन राजीव सिन्हा]