संवाददाता सुधीर चौहान की रिपोर्ट
बरमकेला - पौष पूर्णिमा के अवसर पर शुक्रवार को छेरछेरा पुन्नी का पर्व अंचल में नगर व ग्रामीण क्षेत्रों में धूमधाम से मनाया गया छत्तीसगढ़ का खास लोग पर्व छेरछेरा छत्तीसगढ़ में यह पर्व नई फसल के खल्लारी से घर आ जाने के बाद मनाया जाता है यह उत्साह कृषि प्रधान संस्कृति में दान शीतला की परंपरा को याद दिलाता है उत्सव धार्मिकों से जुड़ता छत्तीसगढ़ का मानस लोक पर्व के माध्यम से सामाजिक समरसता को शुद्ध करने के लिए आदिकाल से संकपित रहा है इस दौरान लोग घर-घर जाकर अन्न का दान मांगते हैं वहीं गांव के युवा घर घर जाकर डांडिया नित्य करते हैं सुबह से ही बच्चे युवा एवं युवकों की हाथ में थैली बोरी आदि लेकर घर-घर छेरछेरा मांगा जाता है धान मिसाई हो जाने के बाद गांव में घर-घर धान का भंडार रहता है जिसके चलते लोग छेरछेरा मांगने वालों को दान करते हैं इन्हें हर घर से धान चावल एवं नगदी राशि मिलता है इस त्यौहार के दिन कामकाज पूरी तरह से बंद रहती है खासकर के सरकारी अवकाश ना होने के चलते सरकारी दफ्तरों में लोगों का चहल पहल रहा लेकिन नगर की दुकानों में पूरी तरह से सन्नाटा छाया रहा वहीं इस दिन लोग गांव छोड़कर बाहर नहीं जाते क्योंकि यह त्यौहार ग्रामीण अंचलों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है इस दिन अन्नपूर्णा देवी तथा मां शाकंभरी देवी की पूजा-अर्चना भी की जाती है।