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बादलखोल अभ्यारण्य से लगे गांवों में सूरज ढलते ही दिवाली की तरह सुनाई देती है फटाको की गूंज ,,,,,,,महिला पुरुष बच्चे सहित इस ठंड में अलाव के सहारे रतजगा कर हाथियों से अपने फसलों को बचाने में लगे है।

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निरंजन मोहन्ती नारायणपुर 

नारायणपुर - दिसम्बर की इस कड़कड़ाती ठंड में गांव के बच्चे,महिला पुरुष सभी लोग दल बना बनाकर गांव के हर कोने पर अलाव जला कर अपनी साल भर की मेहनत को बचाने में जुटे है, चराईमारा,हस्तिनापुर,चुडूटोली सहित ऐसे कई गांव है जंहा रात होते ही हाथियों का दल खेतों ओर खलिहानों में पहुंचकर किसानों के फसलों को बर्बाद करने में लगा है,गांव की महिला पुरुष एक ओर फसलों को नुकसान से बचाने रात दिन एक कर रहें हैं वन्ही वन विभाग के कर्मचारी घरों में आराम फरमा रहें है।

 

        चराइमारा,हस्तिनापुर में शाम होते ही 6 हाथियों का दल खलिहानों ओर खेतों में आकर फसलों को बर्बाद करने लगा लोगों ने फटाकों का सहारा लेकर किसी तरह हाथियों का दल को भगाने में सफलता मिली लोगों का कहना है कि दिवाली में  जितना फटाखा का उपयोग नही हुआ उससे ज्यादा हाथियों को खदेड़ने में फोड़ देते है ,वन विभाग की ओर से किसी तरह कोई सहायता नही मिलती पूर्व में टार्च,मशाल,मोबिल, ओर फटाखा मिलता था वो भी बन्द कर दिया गया,अपने निजी ख़र्च कर फसलों को बचाने में लगे हैं। वन विभाग के कर्मचारी से मिली जानकारी के अनुसार अभी बादलखोल अभ्यारण्य में 35 से 40 हाथियों की संख्या है,यह हाथी अलग अलग दल में विभाजित होकर एक साथ कई गांव में घुसने का प्रयास में लगे रहते है। इन दिनों अभ्यारण्य किनारे गांवों में दिवाली की तरह फठाखों की गूंज शाम होते ही शुरू हो जाती है।

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