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शिवसेना के साथ गठबंधन के मायने गहरे हैं,यह व्यापारियों की पार्टी भाजपा के मुँह पर से हिंदुत्व के मुखौटे हटाने के समतुल्य प्रक्रिया है “मोदी शाह के लिये बच निकलने के रास्ते सीमित हैं..,”

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नितिन राजीव सिन्हा

सोनिया गांधी ने देश की राजनीतिक विचारधारा के संक्रमण को नियंत्रित करने की दिशा में अभूतपूर्व क़दम उठाया है ऐसा महाराष्ट्र में उनके दख़ल से माना जा सकता है ख़ासकर शाह मोदी की युति के पाँव तले की ज़मीन के खिसकने वाली दशा निर्मित हुई है शिवसेना से गठबंधन के मायने सफ़ हैं कि हिंदुत्व के एजेंडे का अब ध्रुविकरण होना तय हो चुका है वहीं सेक्यूलर नेशन की धारणा पर आघात करने वाली सियासी ताक़त शिवसेना जैसों के नाक में नकेल डालने के सफल प्रयास भी हुए हैं..,

बीजेपी,हिंदुत्व के जिस मसौदे पर कार्य कर रही है वस्तुतः वह भ्रम पैदा कर रही है क्योंकि वैश्यों की पार्टी के तौर पर प्रतिष्ठित रही भाजपा के लिये यह दौर यू टर्न लेने वाला माना जा सकता है के,वह हिंदुओं का झंडाबदर बन गई है लेकिन हक़ीक़त यह है कि शिवसेना हिंदू हित की बात पूरी निर्भयता के साथ करती रही है,भाजपा नहीं..,

16 जनवरी 1999 को सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकारिणी ने धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा संबंधी जो प्रस्ताव पेश किये थे उसमें कहा गया है कि भारत धर्मनिरपेक्ष इसलिये है क्योंकि यहाँ के हिंदू धर्मनिरपेक्ष हैं-हमारा दर्शन,जीवन शैली,दोनों हमारे पूर्वजों के इस कथन पर आधरित है “एकम सत्यम,विप्र: बहुधा वदंति।”1988 में राजीव गांधी ने सरयू तट से राम राज्य लाने के संकल्प की उद्घोषणा कर चुनाव प्रचार की शुरुआत की थी..,”

आडवाणी की 1990 की रथयात्रा कांग्रेस के हिस्से से हिंदुत्व चुराने की उग्र पहल थी जो सफल हुई पर,उग्र हिंदुत्व की अगुआ तब भी शिवसेना ही बनी हुई थी,अब भी जिसे कांग्रेस ने सेक्यूलर एजेंडे तक लाकर वह कमाल कर दिया है कि विकास का भ्रम भी टूट गया और धर्मांध का भय भी जाता रहा..,

सोनिया गांधी ने शरद पवार के काँधे पर शिवसेना को सवार किया इससे मुस्लिम वोटर भी दूर नहीं हुए हिंदुओं के क़रीब पहुँच भी गई सोनिया गांधी की बिछाई हुई बिसात पर लिखना होगा कि-

शतरंज की बिसात

के मोहरे बदल गये

मुखौटे,चेहरे के उतर

गये राम के नाम के

थे जो सौदागर वो,

अब रामनाम के

हो गये..,

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