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ना तो अमिताभ बच्चन की तरह राजनीतिक सिफारिश लेकर बॉलीवुड में काम मांगा और ना सलमान खान व आमिर खान की तरह उनके पास बॉलीवुड का जमा-जमाया परिवार था, शाहरुख खान के जन्मदिन पर विशेष

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नदीम एस अख्तर

आज शाहरुख खान का जन्मदिन है। शाहरुख बड़े इसलिए हैं कि उनको अपने माँ-बाप से बेइंतहा प्यार है, खासकर मां से। ज़िन्दगी में सबकुछ पा लेने के बाद आज उनको अगर कोई अफसोस है तो वो ये है कि उनकी कामयाबी देखने के लिए उनकी मां इस दुनिया में नहीं हैं। सुना है कि शाहरुख जब दिल्ली आते हैं तो चुपचाप अपनी मां की कब्र पे जाते हैं और खूब दुआ करते हैं।

वो एक लायक बेटे ही नहीं, उतने ही प्यारे शौहर और बाप हैं। बॉलीवुड की सारी बुलन्दी छूने के बाद जहां अमिताभ बच्चन से लेकर आमिर खान तक के कदम लड़खड़ा गए, शाहरुख ने कभी अपनी बीवी गौरी का साथ नहीं छोड़ा। एक ज़िम्मेदार पिता हैं और अपना खाली वक़्त सिर्फ बच्चों के साथ बिताते हैं। बड़ी बजट वाली फिल्म रा-वन उन्होंने सिर्फ अपने बेटे की ख्वाहिश पूरी करने के लिए बनाई और जब फरमाइश हुई तो पूरी क्रिकेट टीम ही खरीद डाली। शाहरुख इसलिए भी बड़े हैं कि वो डंके की चोट पे सच बोलते हैं, किसी से डरते नहीं। सलमान खान और सलीम खान की तरह किसी की चापलूसी नहीं करते कि कोई उनको कुछ दे देगा। जो कुछ भी पाया और बनाया, अपने दम पर किया। ना तो अमिताभ बच्चन की तरह राजनीतिक सिफारिश लेकर बॉलीवुड में काम मांगा और ना सलमान खान व आमिर खान की तरह उनके पास बॉलीवुड का जमा-जमाया परिवार था। वो चांदी का चम्मच लेकर पैदा नहीं हुए, पर बॉलीवुड में अपनी जगह सारे बड़े सितारों से अलग और ऊपर बनाई। सिर्फ दिलीप कुमार यानी यूसुफ खान साब संघर्ष और कामयाबी में उनके जैसे लगते हैं। यही कारण है कि शाहरुख दिलीप साब से मिलने उनके घर जाते रहते हैं। दिलीप साब की बेगम सायरा बानो साहिबा भी शाहरुख को अपने बेटे जैसा मानती हैं।

इतने बड़े मुल्क में लड़कियों के दिल की धड़कन बनना आसान नहीं। ऐसी लड़कियों की दो पीढियां तो मैंने ही देखी हैं जो शाहरुख की दीवानी हैं। ये रुतबा और ये सक्सेस तो पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना यानी काका को भी नहीं मिला। शाहरुख खान होने का मतलब है रोमांस। वो आज भी सिल्वर स्क्रीन पे रोमांस के किंग हैं। उनकी मुस्कान करोड़ों लोगों के दिल में कुछ कुछ होने का एहसास कराने लगती है। ये शाहरुख ही थे, उनका स्टारडम ही था जो फ़िल्म डर में कक्क.. किरण बोलने वाले विलेन शाहरुख के लिए दर्शकों के दिल में सहानुभूति थी। पब्लिक चाहती थी कि जूही चावला, सनी देओल की जगह शाहरुख से प्यार करे। ऐसा ही फ़िल्म बाज़ीगर में हुआ। शिल्पा शेट्टी का मर्डर करने वाले विलेन शाहरुख के डायलॉग पे पब्लिक तालियां पीट रही थी। लड़कियां सिनेमा हॉल में सीटी मारती थीं। ये शाहरुख खान का स्टारडम है। और ये इसलिए है कि उनको अपने माँ-बाप की दुआ मिली। वे एक फैमिली मैन हैं और कभी रिश्तों का क़त्ल नहीं किया। थप्पड़ कांड में अपनी दोस्त फराह खान के पति शिरीष कुंदूर को माफ कर दिया। बहुत बड़ा दिल चाहिए एक सुपर स्टार होते हुए ये सब करने के लिए। अगर अमिताभ बच्चन सदी के महानायक हैं तो शाहरुख खान माहानायकों के नायक हैं। Happy Birthday King Khan! We love you! Be as you are. God bless!!
 

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