Updates
  1. महिला से फोन-पे के माध्यम से जबरन रकम ट्रांसफर कराने, मोबाईल लूटने व छेड़छाड़ करने वाले आरोपी को पुलिस ने किया गिरफ्तार।
  2. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सुरक्षा व्यवस्था में व्यवधान उत्पन्न करने वालों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज करने एसडीएम ने थाना प्रभारी को दिया निर्देश : आचार संहिता का उल्लंघन करने सहित सक्षम अधिकारी से अनुमति प्राप्त किए बगैर धरना प्रदर्शन और नारेबाजी करने मामले में भी कार्यवाही के निर्देश
  3. स्वयं सहायता समूह की महिलाओ ने निकाली मतदाता जागरूकता रैली:लोगों को मतदान के प्रति किया जागरूक, स्लोगन के माध्यम से ग्रामीणों को वोट का बताया महत्व
  4. मनोनयन/अखिल भारत हिन्दू महासभा ने योगेश मराठा को बनाया इंदौर जिला अध्यक्ष
  5. भाजपा के दिग्गज नेताओं को होगा, जिला मुख्यालय मे एक दिवसीय आगमन, क्षेत्रीय संगठन मंत्री कार्यकर्ताओ से होंगे रूबरू, लोकसभा चुनाव की रणनीति पर होगी चर्चा,
slider
slider

प्रदेश के सैकड़ों किसान-आदिवासियों ने दिल्ली कूच किया : बेदखली के आदेश के खिलाफ 21 को संसद पर करेंगे प्रदर्शन

news-details

कल वन स्वराज आंदोलन द्वारा आयोजित प्रदेश स्तरीय आदिवासी हुंकार रैली के बाद आज पूरे प्रदेश से सैकड़ों आदिवासियों और किसानों ने छत्तीसगढ़ किसान सभा और आदिवासी एकता महासभा के बैनर तले दिल्ली कूच किया।पूरे देश से जुटे एक लाख से ज्यादा आदिवासी 21 नवम्बर को संसद पर प्रदर्शन करेंगे और सुप्रीम कोर्ट द्वारा वन भूमि से आदिवासियों को बेदखल किये जाने के आदेश और मोदी सरकार द्वारा आदिवासियों के पक्ष में हस्तक्षेप न किये जाने के रवैये के खिलाफ अपना रोष व्यक्त करेंगे। इस आदेश के कारण पूरे देश से सवा करोड़ और छत्तीसगढ़ से 25 लाख आदिवासियों को बेदखल किये जाने का खतरा पैदा हो गया है। 

संसद पर यह प्रदर्शन *अखिल भारतीय किसान सभा और आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच* सहित देश के 200 किसानों, आदिवासियों और दलितों के संगठनों के संयुक्त मंच *भूमि और वन अधिकार आंदोलन तथा अ. भा. किसान संघर्ष समन्वय समिति* की ओर से आयोजित किया जा रहा है, जिसमें वन स्वराज अभियान और छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के कई घटक संगठन शामिल हैं।

आज यहां जारी एक बयान में *छग किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता* ने कहा है कि किसानों और आदिवासियों के देशव्यापी प्रतिरोध आंदोलन का नतीजा ही है कि वन कानून में प्रस्तावित खतरनाक आदिवासी विरोधी और वनाधिकार कानून विरोधी संशोधनों को मोदी सरकार को वापस लेना पड़ा है। लेकिन पर्यावरण के नाम पर आदिवासियों को जंगलों से विस्थापित करने और जल-जंगल-जमीन-खनिज को कॉर्पोरेटों को सौंपने की उसकी मंशा में अभी भी कोई बदलाव नहीं आया है। इसीलिए, वनाधिकार कानून, पेसा कानून और 5वीं अनुसूची के प्रावधानों को पूरी तरह सही मायनों में लागू करने और ग्राम सभा की सर्वोच्चता को स्वीकृति देने के लिए आदिवासी समुदाय का संघर्ष जारी रहेगा।

किसान सभा नेताओं ने हुंकार रैली के बाद वन भूमि पर काबिज आदिवासियों को बेदखल न करने की मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणा का स्वागत किया है तथा मांग की है कि इस घोषणा के अनुरूप स्पष्ट आदेश जारी किए जाए और हसदेव अरण्य और बैलाडीला की पहाड़ियों को अडानी को देने की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए। उन्होंने यह भी मांग की कि वनाधिकार कानून पर अमल के लिए गठित समिति को पुनः सक्रिय किया जाए और इसके नियमों पर प्रदेश के सभी आदिवासी व किसान संगठनों से सलाह-मशविरा किया जाए।

उन्होंने कहा कि जल-जंगल-जमीन और अन्य प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकार की इस देश के आदिवासियों की लड़ाई तब तक जारी रहेगी, जब तक कि उन पर सदियों से जारी 'ऐतिहासिक अन्याय' को खत्म नहीं किया जाता और सरकार अपनी कारपोरेटपरस्त नीतियों में बदलाव नहीं करती। वह छत्तीसगढ़ और पूरे देश में इस संघर्ष को जारी रखेगी।

 

 

whatsapp group
Related news