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आज का दिन के ख़बर का हुआ असर, मुकेश गुप्ता के भेदिये की होगी पहचान..,

news-details

 

२२ अक्टूबर को मुकेश गुप्ता तक गोपनीय दस्तावेज़ पहुँचाये जाने से संबंधित समाचार आज का दिन ने चलाया था उस समाचार का असर अब होता हुआ दिख रहा है,

रायपुर एसएसपी आरिफ़ शेख़ ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि फ़ोन टेपिंग करने के गोपनीय दस्तावेज़ निलंबित पुलिस अधिकारी तक कैसे पहुँच गये इस की जाँच की जा रही है भेदियों की पहचान कर ली गई है जल्द ज़िम्मेदार लोगों के नाम उजागर कर दिये जायेंगे..,

मुकेश गुप्ता तक

गोपनीय दस्तावेज़

कौन पहुँचा रहा है..?

कहीं न्यायालय में

सरकार की छवि 

ख़राब करने की 

क़वायद तो नहीं..!!!

आरिफ़ शेख़ पुलिस कप्तान रायपुर इन दिनों विवादास्पद मामलों में उलझते हुए दिख रहे हैं उनकी कार्यशैली ने सरकार की रायपुर से लेकर दिल्ली तक लगातार किरकिरी करवा चुकी है हाल ए बयान यह है कि निलंबित पुलिस महानिदेशक मुकेश गुप्ता की बेटियों का छत्तीसगढ़ की नंबर प्लेट की पजेरो स्पोर्ट्स गाड़ी क्रमांक सीजी १३ यू ०००१ से पीछा करवाया गया आरोप है रायपुर पुलिस मुकेश गुप्ता की बेटी के कार ड्राइवर को पकड़ कर ले गई है..,

इस मामले की शिकायत ६ अक्टूबर २०१९ को मालवीय नगर थाना नई दिल्ली में हुई तब आनन फ़ानन में रायपुर पुलिस ने ९१(सीआरपीसी  इक्यानवे) की नोटिस भेज कर प्रार्थी की शिकायत को और पुख़्ता बना दिया,यहाँ प्रश्न यह उठता है कि पजेरो स्पोर्ट्स जैसी महँगी गाड़ी का उपयोग क्या छत्तीसगढ़ पुलिस करती है..? 

दूसरी बात यह है कि कॉल रेकर्ड लेने अथवा फ़ोन टेपिंग करने के लिये आईजी पुलिस रायपुर और दुर्ग के द्वारा प्रक्रिया के पालन में किये गए पत्र व्यवहार की प्रतियाँ मुकेश गुप्ता तक पहुँच गई और इसका उपयोग सर्वोच्च न्यायालय में लगाई गई याचिका में किया जाना यह दर्शाता है कि रायपुर पुलिस कार्यवाही जो भी करती रही उसका सुराख़ मुकेश गुप्ता तक जाने अनजाने पहुँचाती रही है..,

प्राप्त सूचना का सार यह है कि कॉल रेकर्ड निकालने के लिये लिखे गये आईजी के पत्र की जानकारी संभवतया शासन को भी समय पर नहीं दी गई थी..,

वहीं मुकेश गुप्ता की बेटी का चेन्नई फ़्लाइट से दिल्ली जाने के दौरान रायपुर और दुर्ग पुलिस के लोगों ने कथित तौर पर पीछा किया और आश्चर्य की बात है कि सीएसपी तथा टीआई स्तर के अधिकारियों को शिकायतकर्ता नाम से पहचान रही थी इसकी पुष्टि उसके द्वारा की गई शिकायत में होती है..,

प्रश्न उठना लाज़िमी है कि मुकेश गुप्ता की पहुँच भीतर तक है उसके इशारे ऊपर तक प्रभाव डालते हैं उसके निशाने पर सरकार है और आरिफ़ शेख़ की पुलिस की ग़लतियों ने गधे की क़िस्मत बुलंद कर दी है उसे पहलवान बना दी है..,

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