नितिन राजीव सिन्हा
१ नवंबर छत्तीसगढ़ राज्य का स्थापना दिवस है १५ वर्ष हुए जबकि छत्तीसगढ़ पर सेठ साहूकारों ने राज किया इस दौर में राज्य ने मूल निवासियों के हिस्से सरकारी दमन और पूँजीपतियों के हिस्से,तंत्र को झुकता हुआ देखा अपने खेत खलिहानों पर सेठों को क़ाबिज़ होता हुआ देखा यह रमन सिंह सरकार के तथाकथित विकास की दास्ताँ थी..,
दिसंबर २०१८ में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी,भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने तो राज्य के किसानों का कृषि ऋण माफ़ हुआ,धान का समर्थन मूल्य @२५००/- हुआ तेन्दुपत्ता के ख़रीदी दर में इज़ाफ़ा हुआ जिससे लोगों की क्रयक्षमता बढ़ी,राज्य में पैसों का प्रवाह आम जन तक हुआ यह बड़ा फ़र्क़ था भाजपा काल के राज्य के हित साधन की मूल दशा में और भूपेश काल की कार्यप्रणाली की दिशा में तब,अमीर और अमीर हो रहे थे लेकिन अब,कांग्रेस सरकार में ग़रीब,किसान और मज़दूर बहुत कुछ पा रहा है वह चिंता मुक्त हो रहा है और उसके सपने साकार हो रहे हैं..,
कोई प्रांत अपनें किसानों के उन्नयन के भरोसे यदि आगे बढ़ने के रास्ते बनाता है वह आदिवासियों के जीवन स्तर में सुधार लाने के प्रयास करता है तभी वह सपन्नता प्राप्त कर सकता है ऐसा शायद भूपेश बघेल सरकार की अवधारणा है..,
भूपेश ने राज्य वासियों को जो संदेश राज्योत्सव के अवसर पर दिया है उसमें उन्होंने कहा है कि आर्थिक मंदी के ताज़ा दौर में भी हमारे प्रयासों से सँवरी हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था ने प्रदेश और देश को संबल दिया है..,भूपेश के कहे गये शब्दों पर जनभावनाओं को शब्दरूप में ढालते हुये लिखना होगा कि-
उड़ान अभी
बाक़ी है
जमीं से आसमाँ
तक सफ़र अभी
बाक़ी है,कारवाँ
गुज़र गया ‘रहबर’
की पहचान अभी
बाक़ी है..,आप
पंख ज़रा खोलें
उड़ना हम सीखा
देंगे..ज़मीं नहीं है
मंज़िल आपकी
पूरा आसमाँ अभी
बाक़ी है,समंदर है
जो,उसे बेबस
न समझ जितनी
गहराई अंदर है
उतना तूफ़ाँ अभी
बाक़ी है..,