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कलम-दावात के देवता का दिन ! ब्रह्मा ने कहा- 'तुम मेरे चित्र (शरीर) मे गुप्त थे,इसलिये तुम्हे चित्रगुप्त के नाम से जाना जाएगा

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कलम-दावात के देवता का दिन !

लेखक: ध्रुव गुप्त [इंडियन पुलिस सर्विस] वरिष्ठ साहित्यकार हैं

 

 

चित्रगुप्त हमारे वे देवता हैं जो हमारे जीवन भर के अच्छे-बुरे कामों का हिसाब रखा करते हैं। ब्रह्मा ने जब सृष्टि की रचना की तो मृत्यु के देवता यम ने उनसे एक ऐसा सहायक मांगा जो मनुष्यों के जीवन भर के हासिल का लेखा-जोखा रखने और मरने के बाद उनका दंड या पुरस्कार तय करने में उनकी सहायता कर सके। ब्रह्मा ध्यानमग्न हुए तो सामने हाथों में कलम-दावात-पुस्तक तथा कमर मे तलवार लिए एक दिव्य व्यक्ति उपस्थित थे। परिचय पूछने पर उन्होंने कहा - 'मैं तो हमेशा से आपके भीतर गुप्त रूप से निवास कर रहा था। अब जब आपने मुझे प्रकट किया हैं तो मेरा नामकरण करें और मुझे मेरा दायित्व सौपें।' ब्रह्मा ने कहा- 'तुम मेरे चित्र (शरीर) मे गुप्त थे,इसलिये तुम्हे चित्रगुप्त के नाम से जाना जाएगा। तुम्हारा काम होगा प्राणियों की काया में रहते हुए उनके कर्मों का लेखा रखना और उनके लिए पुरस्कार और दंड तय करने में यमराज की सहायता करना। प्राणियो की काया में स्थित रहने के कारण तुम्हे और तुम्हारी संतानो को कायस्थ कहा जाएगा।' 

कायस्थ जाति के लोग चित्रगुप्त को अपना जनक मानते हैं और आज के दिन कलम-दावात के प्रतीकों से अपने आदि पुरूष की आराधना करते हैं। वैसे दुनिया में तेज रफ़्तार से बढ़ रहे पाप और प्राणियों के दिनोदिन जटिल हो रहे चाल-चरित्र को देखते हुए अब तक तो यमलोक भी डिजिटल हो चुका होगा। चित्रगुप्त महाराज ने भी कागज़-कलम-दावात का त्याग कर हाथ में कंप्यूटर का माउस और की-बोर्ड थाम लिया होगा। आज पूजापाठ के बाद चित्रगुप्त भगवान से वरदान में उनके अकाउंट का पासवर्ड मांग लेना सही होगा ताकि हम पृथ्वीलोक के अधम प्राणी उनकी फाइल से अपने पापों को डिलीट कर अपना परलोक सुधार सकें !

 

अपने सभी चित्रांश मित्रों को चित्रगुप्त पूजा की बधाई !

 

 

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