अफ़सर अली
चिरमिरी । चिरमिरी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में एक याचिका लगाकर चिरमिरी क्षेत्र के सती मंदिर को प्राचीन स्मारक तथा पूरावशेष घोषित करने की मांग की है । इस संबंध में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने याचिका में केंद्र सरकार को भी पक्षकार बनाने का निर्देश दिया है ।
आरटीआई कार्यकर्ता ने अपने रिट याचिका में उल्लेख किया है कि छत्तीसगढ़ पुरातत्व विभाग के मुख्य रसायनज्ञ डॉक्टर के. पी. वर्मा के द्वारा 19 दिसम्बर 2013 को चिरमिरी क्षेत्र के बरतुंगा में स्थित सती मंदिर का निरीक्षण कर प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया था जिसमे इसका उल्लेख किया गया कि चिरमिरी गांव के पास एक शिलालेख है जो 1351 ई. में लिखा गया था । रसायनज्ञ डॉक्टर वर्मा जी के द्वारा अपने उक्त प्रतिवेदन में स्थल से संबंधित सुझाव भी दिया गया । श्री वर्मा जी के उक्त प्रतिवेदन के आधार पर छत्तीसगढ़ पुरातत्व विभाग के कार्यालय द्वारा वर्ष 2015 में प्रकाशित ‘कोसला’ पत्रिका के आठवे अंक में अर्जुनदेव का चिरमिरी से प्राप्त संवत 1450 का शिलालेख नाम से लेख छपा ।इस स्थल से लगभग 14-15 वीं सदी ई. के निर्मित अनेक प्राचीन मंदिरों के भग्नावशेष (टीले) एवं बहुसंख्यक सती प्रस्तार मिले हैं ।
08 जुलाई 2019 को तथा दिनांक 13 अगस्त 2019 को चिरमिरी क्षेत्र के 428 लोगों के हस्ताक्षर युक्त आवेदन देकर छत्तीसगढ़ पुरातत्व विभाग से अनुरोध किया गया कि उपरोक्त सती मंदिर को पुरातत्व विभाग छत्तीसगढ़ शासन द्वारा वर्ष 2013 में कराई गई सर्वे के अनुसार संरक्षित करने का कष्ट करें ।
प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम- 1958 की धारा-2 में वर्णित “प्राचीन संस्मारक” तथा “पूरावशेष” जो 100 वर्ष से पुराने हो, प्राचीन संस्मारक तथा पूरावशेष होते हैं, के अनुसार छत्तीसगढ़ पुरातत्व विभाग को चिरमिरी क्षेत्र के बरतुंगा में स्थित सती मंदिर को प्राचीन संस्मारक तथा पूरावशेष घोषित कर देना चाहिए जो विधि संगत है ।
छत्तीसगढ़ पुरातत्व विभाग के द्वारा 19 दिसम्बर 2013 को दिए प्रतिवेदन में स्थल से संबंधित सुझाव का कोई पालन नहीं किया गया और ना ही 100 वर्ष से पुरानी उक्त वस्तुओं को प्राचीन संस्मारक तथा पूरावशेष घोषित किया गया जो कार्य के प्रति लापरवाही दर्शित करता है ।
चिरमिरी क्षेत्र के बरतुंगा में स्थित सती मंदिर पुरातत्वीय महत्व का स्थान है इसे संरक्षित करना छत्तीसगढ़ पुरातत्व विभाग की जिम्मेदारी होकर कर्तव्य है, जिसका पालन उनके द्वारा नहीं किया जा रहा है । पुरातत्वीय वस्तुओं के संबंध में अनुसंधान करने वाले छात्रों के लिए यह स्थान विशेष रूप से उपयोगी होकर उल्लेखनीय है । इस प्रकार के स्थान को संरक्षित करने से छत्तीसगढ़ की महत्ता कई गुना बढ़ जाएगी । इस तथ्य के विपरीत आज दिनांक तक उपरोक्त स्थान को विधि अनुसार संरक्षित नहीं किया गया है ।
उक्त स्थान को संरक्षित करने के संबंध में चिरमिरी शहर के 428 लोगों के हस्ताक्षर युक्त आवेदन पर भी उत्तरवादीगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किया गया है जो विधि की मंशा के विपरीत है । इस संबंध में आरटीआई कार्यकर्ता के द्वारा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में पेश किए गए रिट याचिका में उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को भी पक्षकार बनाने का निर्देश दिया है । केस की अगली सुनवाई 5 नवंबर को होगा ।