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-रमन सिंह ने की माँग- पर,सावरकर को भारत रत्न क्यों..?

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नितिन राजीव सिन्हा

रमन सिंह ने मुख्य मंत्री भूपेश बघेल को छोटी मानसिकता का व्यक्ति बताते हुए वीर सावरकर पर बघेल की टिप्पणी को कटघरे में खड़ा किया है जिस पर लिखना होगा कि रमन सिंह का अल्पज्ञानी होना उन्हें ६७ वर्ष के उम्र में भी बालिग़ होने से रोकता है बेहतर होता कि वे होम वर्क करके आते फिर कुछ बोलते यह समय है कि उनकी आँखों पर पड़े हुए पर्दे उठा दिये जायें अन्यथा किसी दिन वो,अपने मित्र पूर्व सरकार के संविदा कर्मचारी अमन सिंह के लिये भी कहीं कोई ऐसी सिफ़ारिश न कर दें जिससे देश की गरिमा पर कोई ठेस पहुँच जाये..,

साल १९३७ के अहमदाबाद में हुए हिंदू महासभा के १९ वें अधिवेशन में वीर सावरकर ने द्वी राष्ट्र की अवधारणा पर अपना मत स्पष्ट किया था उन्होंने हिंदू और मुस्लिम दोनों के लिये दो पृथक राष्ट्र की आवश्यकता पर अपने विचार दिये थे..,

ध्यान रहे इसके बाद ही १९४० में जिन्ना के नेतृत्व में पृथक मुस्लिम होमलैंड का प्रस्ताव लाया गया प्रश्न तो यह उठता है कि क्या जिन्ना हिंदू महासभा के १९३७ के प्रस्ताव की प्रतिक्रिया में थे जिसने कालांतर में देश को खंडित कर दिया..,

रमन सिंह ने वीर सावरकर को भारत रत्न देनें की माँग करते हुए कहा है कि ग्यारह साल तक सावरकर ने काला पानी की सज़ा पाई है उन्होंने महान बलिदान दिया है इसलिये उन्हें यह सम्मान मिलना चाहिये पर,क्या माफ़ी नामा दे कर सज़ा से मुक्त होना भी किसी तरह के बलिदान की श्रेणी में आता है यह प्रश्न तो लोगों के ज़ेहन में आता ही है और रमन सिंह को इसका जवाब भी देना चाहिये..,जिस पर लिखना होगा कि-

इक बेनाम 

सा जो

दर्द है

वो,सीने में

दफ़न क्यूँ

नहीं हो जाता

रमन सिंह जैसों

की जुबाँ पर 

कोई,लगाम 

लग क्यों 

नहीं जाता..,

टुकड़ों में बाँटा

है,जिसनें देश

  को..,तोहमत

उनका,उनकी ही

जुबाँ पर ठहर

क्यूँ नहीं जाता..,

वह,ख़्वाब है

या वतन के

टुकड़ों में बँटे

हुए जिस्म का

दर्द ..गर,

ख़्वाब है

तो वह

ख़्वाब

बिखर,

 क्यों नहीं 

जाता..!!!

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