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अर्थव्यवस्था की बर्बादी और जनता की बदहाली के खिलाफ वाम पार्टियों का राज्य स्तरीय धरना कल 16 अक्टूबर को रायपुर में

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देश मे फैलती मंदी से निपटने में मोदी सरकार की विफलता, अर्थव्यवस्था की बर्बादी और आम जनता की बदहाली के खिलाफ वामपंथी पार्टियों के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर छत्तीसगढ़ में भी तीन वामपंथी पार्टियों -- *मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और भाकपा (माले)-लिबरेशन* -- ने  मिलकर 16 अक्टूबर को बूढ़ातालाब रोड, रायपुर में राज्य स्तरीय धरना देने तथा आम जनता की रोजी-रोटी से संबंधित मांगों को उठाने का फैसला किया है।

आज यहां जारी एक संयुक्त बयान में इन वामपंथी पार्टियों ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि उसकी नवउदारवादी नीतियों के कारण देश आर्थिक मंदी की गिरफ्त में फंस चुका है। अविचारपूर्ण नोटबंदी, जीएसटी और एफडीआई के फैसलों के कारण देश में जीडीपी की दर में भारी गिरावट आई है, जिससे उद्योग-धंधे और खेती-किसानी दोनों चौपट हो गए हैं और पिछले ढाई सालों में ही साढ़े चार करोड़ लोग अकल्पनीय ढंग से बेरोजगार हो गए हैं। 

वामपंथी पार्टियों के नेताओं ने कहा है कि मंदी से निपटने के नाम पर मोदी सरकार ने कॉर्पोरेटों और धनी तबकों को आसान बैंक-ऋण, करों में छूट और बेल-आउट पैकेज का जो डोज़ दिया है, उससे अर्थव्यवस्था में न कोई नया निवेश होने वाला है, न नए रोजगार पैदा होने वाले हैं। यह पूरी कसरत कॉर्पोरेट मुनाफों को बनाये रखने की ही है। इन छूटों के जरिये 13 लाख करोड़ रुपये कॉर्पोरेटों की तिजोरी में पहुंचा दिए गए हैं, जबकि ऑटोमोबाइल्स, कपड़ा, निर्माण, इस्पात, बैंक-बीमा, रेलवे, बीएसएनएल, कोयला व प्रतिरक्षा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोजगार छीनने की मुहिम जारी है। वाम नेताओं का मानना है कि निजीकरण-विनिवेशीकरण की इन नीतियों से बेरोजगारी और आर्थिक असमानता में और वृद्धि होगी और आम जनता के जीवन-स्तर में गिरावट आएगी।

उन्होंने कहा कि इस मंदी की असली जड़ आम जनता की लगातार घटती हुई क्रयशक्ति है, जिसके कारण वह अपनी जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहा है और इसके कारण मांग में कमी आ रही है। इस बीमारी का ईलाज केवल आम जनता की क्रयशक्ति को बढ़ाकर ही किया जा सकता है। लेकिन इसके विपरीत इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में पिछले वर्ष की तुलना में पूंजीगत व्यय में एक लाख करोड़ रूपये से ज्यादा की कटौती की गई है।

वाम नेताओं ने बताया कि आम जनता की क्रयशक्ति को बढ़ाने तथा मांग पैदा करने के लिए सरकारी खर्चों में बढ़ोतरी करने, सार्वजनिक क्षेत्र की रक्षा करने, रोजगार पैदा करने, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और खेती-किसानी की हालत सुधारने, किसानों को कर्जमुक्त करने, लागत के डेढ़ गुना मूल्य पर उनकी फसल खरीदने, मनरेगा में 200 दिन काम और 600 रुपये रोजी देने व न्यूनतम वेतन-मजदूरी 18000 रुपये मासिक करने, नौजवानों को बेरोजगारी भत्ता देने, प्रतिरक्षा व कोयला क्षेत्र में 100% विदेशी निवेश का फैसला वापस लेने, छंटनीग्रस्त मजदूरों को आजीविका वेतन देने, वृद्धों व विधवाओं को 3000 रुपया मासिक पेंशन देने आदि मांगों पर 16 अक्टूबर को राज्य स्तरीय धरना का आयोजन किया जा रहा है।

वामपंथी पार्टियों के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर पिछले एक सप्ताह से पूरे प्रदेश में अभियान चलाया जा रहा है और दुर्ग, चांपा, सरगुजा, सूरजपुर, कोरबा आदि जिलों में विशाल धरने आयोजित किये गए हैं।

 

 

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