सुनील कुमार गुप्ता
छत्तीसगढ़ वह राज्य है जहाँ नक्सल हिंसा भयावह हो चली है फ़ोर्स पर्याप्त है पर,जन हानि की विकरालता का आलम यह है कि बस्तर का आदिवासी गन पॉईंट पर है वह फ़ोर्स के निशाने पर है और नक्सलियों का शिकार भी वही है उसके लिये आगे खाई पीछे कुआँ वाली दशा विद्यमान है..,
राज्य निर्माण के बाद गृहमंत्रालय लगातार ग़ैर बस्तरिया के हाथों रहना नक्सल समस्या के समाधान की दिशा में बड़ी बाधा साबित हुई है भाजपा शासन में १५ साल में कोई भी गृह मंत्री बस्तर से नहीं बनाया गया जिसकी वजह से लगभग १५ हज़ार मौतें घोषित अथवा अघोषित तौर पर वहाँ हुई मरने वाले अधिकतर आदिवासी थे वहीं क़रीब २ हज़ार फ़ोर्स के जवानों की शहादत भी हुई..,
मौजूदा दौर में जबकि देवती कर्मा विधायक बन गई हैं वे दंतेवाड़ा से आती हैं उनका विधान सभा धूर नक्सल प्रभावित भू भाग है उनके पति स्व.महेंद्र कर्मा ने बड़ी लड़ाई नक्सलवाद के ख़िलाफ़ लड़ी है और यह जगज़ाहिर है..,
ध्यान रहे कि नक्सल मूवमेंट में जनसहयोग की प्रवृत्ति महत्वपूर्ण होती है बस्तर में नक्सल कमान तेलगु लोगों के हाथों में है वे ग़ैर आदिवासी हैं पर,लड़ाई आदिवासी लड़ रहे हैं वही मर रहे हैं वही मार रहे हैं मसला यह है कि आदिवासी की बोली उनकी भाषा उनकी जीवन शैली को क़रीब से जानने वाला उसे जीने वाला कोई गृह मंत्री यदि होता तो समस्या की विकरालता पर विराम लगाई जा सकती थी..,
देवती कर्मा,मुख्यमंत्री भूपेश बघेल,प्रभारी महासचिव पीएल पुनिया,स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के लिए समान रूप से सम्मानीय हैं वहीं सोनिया गांधी की विश्वासपात्र हैं इसलिये मंत्रीमंडल के बदलाव की सुगबगाहट के बीच poor performer कुछ मंत्रियों की कुर्सी निकट भविष्य में जा सकती है और नये चेहरे भूपेश केबिनेट का हिस्सा हो सकते हैं जिसमें नवनिर्वाचित विधायक देवती कर्मा प्रबल दावेदार हैं..,
प्रभारी महासचिव पीएल पुनिया ने भी कहा है कि सरकार के एक साल पूरे होने पर कुछ चेहरे बदले जायेंगे इसलिए क़यास तो यही लगाये जा रहे हैं कि देवती कर्मा,भूपेश मंत्रीमंडल का बड़ा चेहरा हो सकती हैं और चुनौतीपूर्ण “गृह मंत्रालय की कमान उन्हें मिल सकती है..,