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भूपेश के मंतव्य पर- भीड़ को तंत्र का हिस्सा मानने की भूल से भाजपा नेतृत्व को बचना होगा..,

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नितिन राजीव सिन्हा

छत्तीसगढ़ में विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक ने जम्मू एंड कश्मीर में ३७० समाप्त करने के फ़ैसले पर मुख्य मंत्री भूपेश बघेल से उनका मंतव्य स्पष्ट करने की माँग की है जिस पर लिखना होगा कि केंद्र सरकार के फ़ैसले अब क़ानून बन रहे हैं ऐसे में क्या ज़रूरी है कि किसी राज्य का मुख्य मंत्री अपनी सीमा से बाहर के विषय पर बे वजह कुछ कह जाये जबकि यह कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के मंतव्य के अंतर्गत है..,
कौशिक कहते हैं कि-“भूपेश राष्ट्र हित के इतने बड़े विषय पर मौन साधे हुए हैं..?”वे टीएस सिंघदेव मंत्री छत्तीसगढ़ शासन की तत्संबंधी नज़रिए पर भी प्रश्न खड़े कर रहे हैं..,
कौशिक के बयान पर लिखना होगा कि देश फ़ासिस्म की ओर बढ़ रहा है जहाँ बोलना है तो वही बोलो जो सरकार चाहते हैं बोलने से बेहतर है ढोल पीटो और इससे भी बेहतर होगा कि ढिंढोरा पीटो..यहाँ भूपेश का मौन रहना नागवार गुज़रता है और सिंहदेव का अपनी बात रखना भी नागवार है..,
भाजपा के नेतृत्व को भीड़ को तंत्र का हिस्सा मानने की एतिहासिक भूल से बच कर आगे बढ़ना होगा “वाह वाह वाद”से बचकर चलना होगा तभी लिये गये फ़ैसले सार्थक हो पायेंगे किसी की कनपटी पर बंदूक़ रखकर उसे संसद में नहीं ला सकते ऐसा अमित शाह ने फ़ारूक़ अब्दुल्ला के सदन में अनुपस्थित रहने पर कहा था लेकिन कौशिक तो कनपटी पर निशाना साध रहे हैं ताकि किसी से कुछ कहलवा लिया जाये जो कि स्वस्थ परम्परा क़तई नहीं है..,जिस पर लिखना होगा कि-
बीती हुई सदियों
का तमाशा है के
आने वाले ‘कल’
का भँवर भूल
गये..किसी की
सूनी आँखों में
अपने भीतर का
समंदर भूल गये..,

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