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मुझ जैसा एक आदमी, मेरा ही हमनाम उल्टा-सीधा वो चले, मुझे करे बदनाम....

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शंकर पाण्डे की क़लम से

 

प्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई की एक रचना 'संस्कृति' की याद वर्तमान माहौल में आ रही है।

भूखा आदमी सड़क किनारे कराह रहा था, एक दयालु आदमी रोटी लेकर उसके पास पहुंचा और उसे दे ही रहा था तभी वहां दूसरा आदमी पहुंचा और पहले आदमी का हाथ खींच लिया। पहले आदमी ने कहा... क्यों भाई भूखे को भोजन क्यों नहीं देने देते? दूसरा आदमी बोला... ठहरो, तुम इस प्रकार उसका हित नहीं कर रहे हो, तुम केवल उसके तन (पेट) की भूख समझ पाते हो... मैं उसकी आत्मा की भूख जानता हूं। देखते नहीं हो मनुष्य के शरीर में पेट नीचे है और हृदय उपर हृदय की अधिक महत्ता है। पहला आदमी बोला... लेकिन उसका हृदय तो पेट पर ही टिका है, अगर पेट में भोजन नहीं गया तो हृदय की टिक-टिक बंद हो जाएगी। दूसरा आदमी हंसा फिर बोला... मैं बताता हूं उसकी भूख कैसे बुझेगी। यह कहकर भूखे आदमी के सामने बांसुरी बजाने लगा। पहले आदमी ने पूछा कि यह तुम क्या कर रहे हो, इससे क्या होगा? दूसरे आदमी ने कहा.. मैं उसे संस्कृति का राग सुुना रहा हूं। तुम्हारी रोटी तो एक दिन के लिए उसकी भूख मिटा पाएगी पर संस्कृति राग से उसकी जनम-जनम की भूख मिटा देगी...।

बस कुछ इसी तरह के हालात देश में चल रहे हैं, नौकरी नहीं है, भूख है, आर्थिक स्थिति बिगड़ती जा रही है। पर संस्कृति राग सुनाने का दौर बदस्तूर जारी है..। देश- प्रदेश में जिस तरह से महंगाई बढ़ रही है, बेरोजगारी चरम पर है, आर्थिक संकट के हालात है, रोजगार प्राप्त लोगों को रोजगार से वंचित किया जा रहा है वह निश्चित ही चिंता का विषय है। अपना देश, अपना प्रदेश का सपना देखने वाले युवाओं के सामने भविष्य की चिंता है, केवल बातों, वादों की चाशनी परोसी जा रही है। नये रोजगार के अवसर मुहैया होने की बात तो दूर जो लोग रोजगार में लगे थे उन्हें ही बेरोजगार बनाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में ही पर्यटन मंडल सहित सरकार के अधीन कार्य कर रहे करीब 5 हजार लोगों को जरूरत नहीं इस आधार पर कार्यमुक्त कर दिया गया है। सवाल फिर यही है कि पिछले 10 से 15 साल से नौकरी कर रहे लोग अब आखिर क्या करेंगे..।

 

अंतागढ़ का विलेन...।

 

छत्तीसगढ़ में अंतागढ़ उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी मंतूराम पवार सहित अन्य निर्दलीय प्रत्याशियों द्वारा नामांकन वापसी, रूपयों का लेनदेन में कुछ बड़े राजनेताओं सहित उनके रिश्तेदारों कुछ अफसरों की भूमिका पर पीडि़त पक्षों द्वारा आरोप मढ़े जा रहे है वह गंभीर है साथ ही स्वस्थ लोकतांत्रिक परंपरा पर भी एक सवाल है।

हाल ही में अंतागढ़ उपचुनाव के मुख्य नायक मंतूराम पवारसहित उस उपचुनाव में नामांकन वापस लेने वाले 6 निर्दलीय प्रत्याशियों ने खुलासा किया है कि इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह उनके दामाद तथा तब के सरकारी डाक्टर पुनीत गुप्ता, पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी, उनके पुत्र अमित जोगी, तत्कालीन मंत्री राजेश मूणत, डॉ. रमन सिंह के प्रमुख सचिव (संविदा) अमन सिंह तथा मुख्यमंत्री के निजी सचिव ओ.पी. गुप्ता की भूमिका रही है। इसके पहले कांकेर के तत्कालीन एसपी आर.एन.दास पर भी आरोप लगाया जा चुका है।

मंतूराम पवार सहित 6 अन्य प्रत्याशी भीमसिंह उसेण्डी, महादेव मंडावी, शंकर लाल नेताम, देवनाथ, भोजराज नाग, वीरेन्द्र नेताम ने न्यायालय में 164 के तहत बयान दर्ज कराया है। सभी को नामांकन वापसी पर एक-एक करोड़ देने का प्रलोभन दिया गया था पर किसी को भी 50-60 हजार से अधिक नहीं मिला। मंतूराम का तो आरोप है कि अजीत जोगी ने बेचा और डॉ. रमन सिंह ने खरीदा... 7 करोड़ का सौदा था पैसा कहां गया, पैसा कौन देने वाला था..। वैसे धमतरी थाने में डॉ. रमन सिंह, अमन सिंह तथा ओ.पी. गुप्ता के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है। वैसे तथाकथित लेन-देन, मंतूराम को सुविधा देने आदि का आडियो भी सार्वजनिक हो चुका है। मंतूराम पवार का कहना है कि कोर्ट में वायस सेम्पल देने तैयार हूं तो अजीत जोगी, अमित जोगी तथा डॉ. पुनीत गुप्ता क्यों तैयार नहीं हो रहे हैं। वैसे अंतागढ़ नामांकन वापसी मामला, छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूचाल ला सकता है। क्योंकि 2 पूर्व मुख्यमंत्री संदेह के दायरे में है।

 

शहादत, सियासत....।

 

दंतेवाड़ा विधानसभा उपचुनाव छत्तीसगढ़ सरकार सहित प्रमुख विपक्षी दल भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है। इसीलिए कांग्रेस तथा भाजपा के स्थानीय बड़े नेता वहां सक्रिय हैं।

एक देश एक चुनाव का नारा पूरे देश में चल रहा है वहीं बस्तर संभाग की 2 सीटे दंतेवाड़ा तथा चित्रकुट विधानसभा रिक्त होने के बावजूद केवल दंतेवाड़ा में उपचुनाव हो रहा है और नवंबर-दिसंबर तक चित्रकुट में भी उपचुनाव कराना ही होगा क्योंकि 6 माह से अधिक समय तक क्षेत्र रिक्त नहीं रह सकता है। खैर दंतेवाड़ा उप चुनाव में मुख्य मुकाबला पिछले चुनाव में पराजित देवती महेन्द्र कर्मा का मुकाबला भाजपा की ओजस्वी भीमा मंडावी के बीच ही है। विधायक भीमा मंडावी की नक्सलियों द्वारा हत्या के कारण यह सीट रिक्त हुई थी। यह एकमात्र सीट बस्तर क्षेत्र की थी जहां पिछले चुनाव में भाजपा का विधायक चुना गया था। कांग्रेस की सुनामी के बावजूद इस सीट पर भाजपा का परचम लहराया था। भाजपा को यह सीट बचाना प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है। डॉ. रमन सिंह नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, भाजपा के नये प्रदेश अध्यक्ष तथा बस्तर के मूल निवासी विक्रम उसेण्डी की प्रतिष्ठा दांव पर है तो कांग्रेस के लिए भी यह सीट प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई है। पिछले विधानसभा में 65 सीटे जीतकर रिकार्ड बनाने तथा 15 सीटों पर भाजपा को सिमटा देने वाले भूपेश बघेल अब प्रदेश के मुख्यमंत्री है। उनके 9 महीने के कार्यकाल की भी यह उपचुनाव अग्नि परीक्षा है तो बस्तर के ही मूल निवासी तथा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम के लिए भी पद हासिल करने के बाद यह पहला उपचुनाव है तो बस्तर के एकमात्र मंत्री कवासी लखमा बस्तर के कांग्रेसी सांसद बैदूराम कश्यप की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। दंतेवाड़ा विधानसभा में महिला मतदाताओं की संख्या अधिक है। यहां दोनों महिलाओं सहित कम्युनिस्ट पार्टी, आप तथा जोगी कांग्रेस के प्रत्याशी भी मैदान में  हैं। पर ये लोग परिणाम प्रभावित करने की स्थिति में नहीं है। हालांकि सीपीआई यहां 2008 के चुनाव में दूसरे स्थान पर रही थी।

बहरहाल दंतेवाड़ा उपचुनाव में परिवारवाद, शहादत की सियासत चल रही है। कांग्रेस, भाजपा की प्रत्याशी के पति नक्सलवाद की भेंट चढ़ गये हैं तो जोगी कांग्रेस ने महेन्द्र कर्मा के भतीजे को प्रत्याशी बनाया है। कुल मिलाकर विधानसभा में 65 विधानसभा का रिकार्ड जनसमर्थन लेकर सरकार बनाने वाली कांग्रेस पार्टी को लोकसभा चुनाव में 11 सीटों में 2 पर ही संतोष करना पड़ा उसमें एकलोक सभा बस्तर भी रही थी। दंतेवाड़ा उप चुनाव के परिणाम निश्चित ही कांग्रेस- भाजपा के लिए उत्साहजनक होंगे यह तय है।

 

और अब बस....

 

0 दंतेवाड़ा विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस-भाजपा के राष्ट्रीय नेता प्रचार करने क्यों नहीं आये...।

0 उपचुनाव के विपरीत परिणाम के बाद क्या बस्तर में प्रशासनिक फेरबदल हो सकता है..।

0 बस्तर के भाजपा बड़े आदिवासी नेता दिनेश कश्यप आखिर कहां है।

0 नक्सलियों ने भूपेश सरकार के मंत्री कवासी लखमा को धमकी दी है ऐसे में भाजपा के नक्सली कांग्रेस के समर्थक होने के आरोप का क्या होगा।

0 दंतेवाड़ा उपचुनाव में गये नेता 'कड़कनाथ' के विषय में पूछते हैं तो पता चलता है कि बस्तर में 'कड़कनाथ' केवल विज्ञापन में ही देखा जा सकता है।

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