नई दिल्ली : दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता शीला दीक्षित का शनिवार को निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रही थीं। उनकी उम्र 81 वर्ष थी। उन्होंने शनिवार दोपहर 3.30 बजे अंतिम सांस ली। बताते चलें कि वे लंबे समय से कांग्रेस में सक्रिय थीं और दिल्ली में प्रमुख ढांचागत सुधारों का श्रेय उन्हें दिया जाता है। जिस समय दिल्ली बुरी तरह से गैस चैंबर बन गई थी और गाड़ियों के धुएं तथा कारखानों की जहरीली गैसों से आम आदमी का दम घुटने लगा था, उस समय शीला दीक्षित ने ही ठोस पहल की थी और दिल्ली को दिल्ली मेट्रो का तोहफा दिया था। इसके अलावा दिल्ली का दम घोंट रहे कारखानों को दिल्ली से बाहर निकालने में भी उनका प्रमुख योगदान रहा था।
पूरी तरह सक्रिय थीं अब भी
शीला दीक्षित निधन से पहले तक कांग्रेस में पूरी तरह सक्रिय थीं। गुरुवार को ही दिल्ली कांग्रेस ने 3 नए प्रवक्ताओं की नियुक्ति की थी, जिनमें से एक नाम पर बीते दिनों जमकर संग्राम हुआ था। यह नाम था रोहित मनचंदा, जिन्हें शीला दीक्षित का करीबी बताया जाता है। उन्होंने बीते दिनों मीडिया के सामने आकर खुलकर पीसी चाको का इस्तीफा मांगा था, इसके बाद उन्हें प्रवक्ता बनाया जाना अपने आप में शीला की पहुंच बयां कर रहा था।
रोहित मनचंदा ने आरोप लगाया था कि पीसी चाको ने उन्हें लिफ्ट से धक्का देकर दिल्ली कांग्रेस के दफ्तर में आगे से नजर ना आने को कहा था। इसके बाद दिल्ली कांग्रेस द्वारा रोहित मनचंदा की प्रदेश प्रवक्ता के पद पर नियुक्ति के फैसले को पीसी चाको के विरोध के तौर पर देखा गया। बीते दिनों शीला दीक्षित और कांग्रेस के प्रभारी पीसी चाको के बीच खींचतान तब खुलकर सामने आई थी जब एक ओर शीला दीक्षित ने बगैर नेतृत्व को बताएं दिल्ली के सभी ब्लॉक स्तर के नेताओं को बदल दिया था तो दूसरी ओर उसके कुछ दिन बाद ही दिल्ली कांग्रेस के प्रवक्ता पीसी चाको ने शीला दीक्षित के आदेश को रद्द कर दिया था।